Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 02
Author(s): Aryarakshit, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 403
________________ श्री अनुयोगद्वारसूत्रस्य द्वितीयविभागस्य तृतीयं परिशिष्टम् छ २७ ३६६ मूलशब्दः सूत्राङ्कादि | मूलशब्दः सूत्राङ्कादि | मूलशब्दः सूत्राङ्कादि ३३५,३४५,३५१[३] | छव्वीसं १०१,१४५,१४७, | जति ४८३[५]] ३५५[३],३५९ | १८६,१८८,३९१[८] जत्थ ८गा.१,५२२तः५२४ छ- २६०[१०]गा.४६, | छंद ६०६गा.१४२ जप्प २६०[१०]गा.४७,३४७[२], छंदणा २०६[२]गा.१६ | जमईयं २६६ ३५१[५]गा.१०२ | छिज्जइ ३६६/०जमलपयस्स ४२३[१] ०छउमत्थवीतरागे २४१ छिज्जति ३६६ | जमे २८६गा.९० छउमत्थे २३७,४७२ छिज्जेज ३४३[१] जम्मण १८,३८,६०,४८६, छक्काय० २२ | छिण्णे ५४२,५५३,५६४,५८६ छगच्छगयाए १३४,२०५[४], | छिंदमाणं ४७४ जम्मि २९६,५०८ . २०७[४] छिंदसि ४७४ | जम्हा २९गा.३,३६६, छ8 २६०[३]गा.२९ छिंदामि ४७४ ४७६,५२५[३] छट्ठा २६०[९]गा.४२ छेए ३६६| जयंत ३९१[९] छट्ठी २६०[७]गा.३९ | छेत्तुं ३४३[५]गा.१०० जयंतए - २१६[१८] २६१गा.५८,२६१गा.६१ | छेदोवठ्ठावणलद्धी । २४७/जया ३३४,३३६ ४२३[१ छेदोवट्ठावणिय० ४७२ | जलण ५९९गा.१३१ छणामे २०८ | छेयणगदाइ ४२३[१] | जलणो २६४ छण्णउति ३३४गा.९७ जइ ३,४,५,६,१५[५],३५, | जलति २६४ छण्णउति० ४२३[१] ५७[५],४१५,४२३[३],४७६, जलयर __ २१६[९],३८७[२] छण्णामे २५९ ५९९गा.१३२ जलयर० २१६[८,९], ३५१[२], छण्हं ७१,४७६ | जइण ३६६ ३८७[२] छत्तकारे ३०४ | जइयव्वं६०६गा.१४० जलंते २०,२१ छत्तले ३५८|जक्खस्स २१ जल्लाण दे०] छत्ती २७५ जक्खालित्ता २४९ | जवमज्झे ३४४ छत्तेण २७५ जक्खे १६९गा.१४,२१६[१४] जवो ३३९गा.९९ छनामे २३३ जण २६२[२]गा.६४, जस्स १०,१४,३१,३५,५३, छन्नउती ३४५ ४९२[४]गा.१२२ ५७[१],२८३,४७४,४७८ छप्पण्ण ४२५[२] जणण २६२[५]गा.७० | ४८२,५२६,५३९,५५०,५६१, छम्मासा ३८६[३] जणे . ५९९गा.१३२ ५८३,५९९गा.१२७ ६०५गा.१३५ जणो २६२[६]गा.७३ जह २६१गा.६२,२६२[८] छविहे ७६,९२,२१८ जण्णइज्ज .२६६ गा.७७,२६२[१०]गा.८१, २३३,२९२,५२७,५३३ जण्णदत्तो ४९२६४]गा.१२१,५५७ छट्टो छविह २१४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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