Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 02
Author(s): Aryarakshit, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 398
________________ खेत्ता २२३ श्री अनुयोगद्वारसूत्रस्य द्वितीयविभागस्य तृतीयं परिशिष्टम् ४४ मूलशब्दः सूत्राङ्कादि मूलशब्दः सूत्राङ्कादि | मूलशब्दः सूत्राङ्कादि ३९७गा.११४ गणहराणं ४७० गयस्स २६१गा.६१ खेत्तं १५३२] गणिए ३६७ गयं ४४३ ४७५ गणिज्जति ३२६ गयं १७,३७,४५६ खेत्ताई ८५ | गणिपिडगं ५०,४६९ गया २२,२९८ खेत्ताणुपुव्वी ९३,१३९,१४२, गणिमप्पमाण ३२७ गयाए १३४,१३८,१६३, १५८[३],१५९, गणिमप्पमाणेणं ३२७ |१६७,१७१,१७५,१७९,२०१[४], १६०,१७६,१७९ | गणिमाया ३१० २०२[४],२०३[४],२०४[४], खेत्ताणुपुव्वी० १५०,१५२[१] गणिमे ३१६,३२६,३२७ २०५[४],२०६[४],२०७[४] खेत्ताणुपुल्वीए १४५,१९३,१९७ | गणियस्स ३६७ गयाओ . | ও २०० गणियं ४९६ | गरुय २२५ खेत्ते ५०८ गणिया ९० | गरुयफासणामे खेत्तोवक्कमे ७६,८५ गणी २४७ गवमादि ४४६ खोयावर] १६९गा.११ | गणे २८४गा.८५ गवयो गओ २६०[३]गा.२९ गति० २४४ गवेलगा २६०[३]गा.२८ गच्छ १३४,१३८,१६३,१६७ गते । ३७९,३८१,३९४,३९६ | गहणं ४५०तः४५७ १७१,१७५,१७९,२०१[४], गत्त ३६६ गहविमाणाणं ३९०[४] २०२[४],२०३[४]२०४[४], | गब्भ ४१ गहसमं २६०[१०]गा.५० २०५[४],२०६[४],२०७[४] गब्भघरे ४७५ गहाय ३६६,४७४ गच्छसि ४७४ | गब्भम्मि ३८७[५]गा.११२ गहे २१६[१५] गच्छंति २० गब्भवक्कंतिय २१६९-१२], | गंगा० ३९७ गच्छामि ४७४ ३८७[२-४],३८८[३] गंगाए ३४३[४] गच्छेज्जा ४७४ | गब्भवक्कंति० २१६[९-१२], गंगावालुया ३९७ गजियं २४९ ३५१४२-३],३५२[३], गंडेणं ४४६ गण ५९९गा.१३१ ___३८७२-४],३८८[३] +गंथ ५१गा.४ ७२गा.५ गब्भवक्कंतिया २१६[१०] | गंथिकम्मे ४७९ गणणं ४९७ | गब्भवक्कंतियाण ३५१[४] गंथिमे गणणाणुपुव्वी २०४[१,४] गमेणं १४५,१४७, गंथे गणणानुपुव्वी १८६,३४८[२] गंध २०,२१,२२१ गणणासंखा ४७७,४९७,५१९ गमेसु ३५१[४] .२२६[७]गा.७४ गणनामे २८९ गयक्खंधे ६६ गंध० ४२९,४३१ गणहर० ४७० गयखंधे ६२ गंधगुणप्पमाणे ४२९,४३१ +गण २६६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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