Book Title: Abhidhan Rajendra kosha Part 4
Author(s): Rajendrasuri
Publisher: Abhidhan Rajendra Kosh Prakashan Sanstha

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Page 1298
________________ (२६१५) निधान राजेन्द्रः । देवदत्ता देवदत्ता सुपडियस रस्म बहिया पच्चच्छि दिसिभाए एगं रिया एणया क्या एहाया० जाव विभूसिया बहूहिं खु महं कृमागारसा जाव करे, अणेगखंभपासाइया जेव जाहिं० जाव परिक्खित । उप्पि आगासतलगंसि कलगसीइसेणे राया तेक्षेत्र उबागच्छ, नवागच्छत्ता तमा- तिंदूसरणं कीलमाणी विहर। इमं च णं वेसमणदत्ते ग़एत्तियं पञ्चपिण्ड़ । तए एं से सीहसेणे राया अाया या हाया जाब विचूसिए श्रासं दुरूह, बहूहिं पुरिसेहि काइ एगूगगाणं पंचएहं देवीसयाणं एगुप्पाई पंच संपरिवुडे सवाहणियाए णिज्जायमाणे दत्तस्स गाहावमाईसयाई आमंते । तए णं तासि एगुणं पंचएहं इस्स गिहस्स दूरसामंते वीईवयमाणे । तए णं से बेसदेवसिया एगुणं पंच माइसयाई सीह सेणं रच्छा प्रा. मणे राया०जाव वीईत्रयमाणे देवदत्तं दारियं उपमंतियाई समापाई सव्वाकार विजूसियाई करे‍, जहा- गासतनगंसि कीलपाणिं पासइ, पासइता देवदत्ताए दा विनवे जेणेव सुपडे पायरे जेणेव सीइसेणे राया तेव रियाए रुवेण य जोन्त्र हो य यात्रमण य०जाव विडिए वागच्छ, तर णं से सीहसेणे राया एकूणं पंचदेवी- कोमुंबयपुरिसे सहावे, सदावेइत्ता एवं बयासी - कसणं सया एक पंचए माईसयाणं कृडागारसालं प्रावस देवापिया ! एसा दारिया, किं वा णामधेज्जेण । तए दल | तर से सीहसेणे राया को मुंबियपुरसे सदा- कोरिसा समरायं करयल • एवं बयासी-एस वे, सहावेत्ता एवं बयासी-गच्छह णं तुब्भे देवापि- सामी ! दत्तमत्यवास्स घूया कए इसिरिअत्तया देवदत्ता या ! विडलं असणं पाणं खामं साइमं नवणेह, सुबहु- मंदारिया ण य जोव्वणेण य लावमेण य उक्किट्ठा पुष्पवत्थगंधमाकारं च कूमागारसा साहर ह । तए णं कसरी । तर से वेसमणे राया प्रासवादणि प से कोमंत्रिय० तहेव० जाव सादरइ । तए णं तासि एगू- मिणियत्ते समाणे श्रभितरद्वाणिज्जे पुरिसे सहावेइ, सहाणगाणं पंचए देवीसयाणं एगूणपंचएहं माईसयाई जाव बेइत्ता एवं बयासी - गच्छह णं तुब्ने देवाप्पिया ! दत्तस्स सव्वालंकार विजूसियाई तं विउलं असणं पाणं खामं धूयं कण्हासितयं देवदत्तं दारियं पूसबंदिस्स जुवरमो साइमं सुरं च० ६ आसाएमाणा ४ गंधव्वेहिं णामहिय नारित्ताए वरेह, जइ वि य सव्वरज्जमुक्का । तए णं से श्रभितरट्ठाणिज्जा पुरिसा बेसमणरणा एवं वृत्ता समाणा इडाकरयल० जाव एवं परिणे, परिसुता एढाया जाव सुरूपास संपरिवुमा । तए णं जेणेव दत्तस्स गिहे तेव उवागच्छ, तर णं से दत्ते सत्यवादे ते पुरिसे एज्जमाणे पासइ, पासइत्ता हड सणाश्रो अन्नु, सत्तट्ठपयाई अन्तुम्गए आसणेणं उवणिमंते, उवणिमंतेइता ते पुरिसे वर्गीयमाणाई विहर३ । तए एं से सीहसेणे राया अदरतकाल समयास बहूहिं पुरिसेहिं संपरिवुडे जेणेव कूडागारसाला तेणेत्र उत्रागच्छछ, उबागच्छछत्ता कूडागारसाल्झाए वारा पिडे, कमागारसान्झाओ समंता अगणिकार्य दक्षयति । तए णं तासि एगुणगाणं पंचएदं देवीसयाणं एगूणगाणं पंच माइसयाई सीइरणो प्रालीवियाई समालाई रोयमाणाई ३ अत्ताणाई असरलाई कालधम्मुणा संजुताई । तर से सहिसेणे राया एवकम्मे ४ सुबहु०जान समज्जिशित्ता चतीसं वाससयाई परमानं पानइत्ता कालमासे कालं किच्चा छडीए पुढत्रीए नकोसें बाबीसं सागरो सत्येव सत्ये सुहास वरगए एवं बयासी - संदिसंतुणं देवापिया! किमागमणप्पप्रयणं । तए णं ते रायपुरिसा दत्तं सत्यवादं एवं बयासी-म्हे णं देवाप्पिया ! तव धूयं कएह सिरीअत्तयं देवदत्तं दारियं पूसणं दिस्स जुवरमो भारियत्ताए बरेमो, तं जणं सि देवाप्पिया ! जुतं वा पत्तं वा सन्नाहणिज्जं वा सरिसो वा संजोगो, दिज्जउ णं देवदत्ताजारिया पूस दिस्स जुवरो, भण देवाणुपिया ! किं दलामो सुकं । तए ां से दत्ते ते अभितर ठाणपुरिसस्स एवं बयासी - एयं च णं देवाप्पिया ! ममं सुकं माई विती नववणे, से णं ताओ अंतरं नव्त्रहित्ता इदेव रोहीडए एयरे दत्तस्स सत्यवाहस्स कण्ह सिरीए भारियाए कुच्चिसि दारियत्ताए नववसे, तेणं साहसिरी व मासागं० जाव दारियं पयाया सुकुमाल० जाव सुरूवं । तए गं तीसे दारियाए अम्मापियरो वित्तवार साहियाए विडलं असणं पाणं खाइमं साइमं० जात्र मित्तलामधेज्जं करेश, होउ णं दारिया देवदत्ता यामेणं । तर एणं सा देवदत्ता पंचधाईपरिग्गहिया० जाव परिवइ । तएं सा देवदत्त । दारिया जम्मुकबाल नावे जोब्बणेण य ख्वेण य लावण य०जाव अव सरूत्रा किट्ठा कि इसरीरा जाया याच होत्या । तए णं सा देवदत्ता भा Jain Education International For Private समदत्ते राया ममं दारियाणिमित्तेनं अणुगेएह, २ ते ठाणपुरिसे विउलेणं पुप्फवत्थगंधमलाकारणं सकारे, पमिविसज्जेइ । तर गं से ठगणपुरिसे जेणेव बेसमणे राया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छइत्ता daमणस्स रणो एयमहं वेदे । तए णं से दत्ते गादाई या सोजांसि तिहिकरण दिवसणक्खच Personal Use Only www.jainelibrary.org

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