Book Title: Abhidhan Rajendra kosha Part 4
Author(s): Rajendrasuri
Publisher: Abhidhan Rajendra Kosh Prakashan Sanstha

View full book text
Previous | Next

Page 1329
________________ (२६५०) भाभधानराजेन्दः । घण धण उवागच्छ, जवागच्चइत्ता प्रह धोयमट्टियं गिराहइ, गि-| नासे जाव वेयणं पच्चणुब्नवमाणा विहरति । सेग एहहत्ता पुक्खरािणं प्रोगाहेश, श्रोगाहेइत्ता जलमजणं | तो जव्वाट्टत्ता अणाइयं प्रणवदग्गं दीहमर चानरंकरहे, एहाए कयवलिकम्मे० जाव रायगिहं रायरं अणुप्प-। तसंसारकतारं परियटिस्सइ । एवामेव जंबू ! जेणं विसइ । रायगिहस्स एयरस्स मज्कं मजकेणं जेणेच सए अम्हं निग्गंथो वा निग्गंथी वा आयरियउबकायाणं अं. गिहे तेणेष पहारेत्थगमणाए । तए णं तं धणं सत्यवाहं तिए मुंडे नवित्ता अगारात्रो अणगारियं पन्चइए समाणे एज्जपाणं पासित्ता रायगिहे णयरे बहवे णयरणिगमसे- | विपुनमणिमुत्तियधणकण गरयणसारेणं बुब्भइ. से वि य द्विसत्यवाहपभित्रो प्रादयंति, पमिजाणंति, सकारेंति, सः | एवं चेव । तेणं कालेणं तणं समएणं धम्मघोसा णाम माणेति, अम्नुढेंति सरीरकुसझं पुच्छति । तए णं से | थेरा जगवंतो जाइसंपमा० जाव पुनाणुपुचि चरमाणा धणे सत्यवाहे जेणेच सए गिहे तेणेव नवागच्छइ, नवा- जाव जेणामवे रायगिहे एयरे जेणेव गुणसिलए नेइए गच्छइत्ता जा वि य से तत्य बाहिरिया परिसा भवइ, तं जाव अहापडिरूवं उग्गाहं उगिएिहत्ता संजोग तवसा दास तिवा, पेस तिवा,जइगा तिवा, नाइवेति वा,सा वि अप्पाणं भावमाणा विहरति, परिसा णिग्गया, धम्मो कयण धणं सत्यवाई एज्जमाएं पास इत्ता पायपझियाए खे. हिओ । तए णं तस्स धणस्स सत्यवाहस्त बहुजणस्स मकुसलं पुच्छइ, जे वि य से तत्प अतिरिया परि- अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म इमेयारूवे अन्नथिए सा जवइ, तं माया इय वा पिया इय वा भाया ति वा नइ- जाव समुप्प जित्था । एवं खयु भगवंतो जाइसंपएणा इदणी ति वा, सा वि य णं धणं सत्यवाहं एन्जमाणं पासइ,। मागया, इह संपमा, तं इच्छामिण थेरे जगवंते बंदामि, णपासइत्ता आसणाओ अग्नुढेइ, कंगकंठियं अवदासियं । मंसामि, एहाएजाव सुचप्पावेसाई मंगलाई वत्याई पववाहप्यमोक्खणं करेइ । तए एं से धणे सत्यवाहे जेणेव रपरिहिए पायविहारचारेणं जेणेव गुणसिलए चेइए जेणेत्र चदा जारिया तेणेव नवागच्छइ । तए णं सा भदा जा. थेरे जगवते तेणेव उवागच्च, उवागच्छइत्ता बंद, णमंरिया सत्यवाही धणं सत्यवाहं एजमाण पासड, पासइत्ता सइ । तए णं थेरा भगवंतो धणस्स सत्थवाहस्स विणो आढाति, पो परियाणाइ, अणादायमाणी अपरिजा- चित्तं धम्ममाइकखंति । तए णं से धणे सत्यवाहे धम्म णमाणी तुसिणीया परंमुही संचिट्ठ । तए णं से धणे सोना एवं बयासी-सद्दहामि णं भंते ! एिगथे पावयसत्यवाहे जदं नारियं एवं बयासी-किं णं तुमं देवाणु- ० जाव पवइए० जाव बहणि वासाणि सामनपरिप्पिया ! ण तुट्ठा वा ण इरिसा वा णाणंदी वा, जं पए यागं पाणित्ता भन्नं पच्चक्खाइत्ता मासियाए संनेहपा. सेएणं अत्यसारेणं रायकजाओ अप्पा विमोइए । तए | ए सर्टि जत्ताई अणसणाई आदइत्ता कालमासे कालं किसा भद्दा धणं सत्यवाई एवं बयासी-कहं गं देवाणप्पिया! च्चा सोहम्मे कप्पे देवत्ताए उबवरो । तत्थ णं अत्येगहमम तुट्ठा वा० जाव आणंदे वा भविस्सइ । जेणं तुमं मम | याणं देवाणं चत्तारि पनिओवमाई दिई पम्पत्ता । तत्थ णं पुत्तघायकस्स० जान पञ्चामित्तस्स ताो विपुलाओ अ- धणस्स देवस्स चत्तारि पनिोवमाई दिई पप्मत्ता ।से एं सणं. ४ संविनागं करेसि । तर पं से धणे सत्यवाहे धणे देवे ताओ देवमोगाओ आउक्खएणं जवखएणं जदं सत्यवाहिं एवं बयासी-णो खलु देवाणुप्पिए ! धम्मो विइक्खएणं गइक्खएणं अतरं चयं चइता महाविदेहे त्ति वा तवो त्ति वा कयपमिकझ्या वा लोगजत्ता तिवा वासे सिकिहिति० जाच सव्वमुक्खाणमंतं करेहिति, जहा णायए त्ति वा घामियए ति वा सहाएइ वा मुहि त्ति णं जंबू ! धणेणं मत्थवाहेणं णो धम्मेइ वा जाब विजवा ततो विपुलामो असएं०४ संविनाए कए, एप्पत्य यस्स तकरस्म ताो विपुलाओ असणं०४ संविजागे कर, सरीरचिंताए । तए णं सा भद्दा सस्थवाही धणेणं सत्यवा- णापत्य सरीरस्स रक्खणट्ठाए,एवामेव जंब जोगा अम्हं रेणं एवं वुत्ता समाणी हट्टतुट्ठा० जाव आसणामो अ- णिगंथे वा णिग्गयी वाजाव पवइए समाणे ववगयएहाजोति, कंगाकोठा बतासेति,खेमकुसलं पुस्जद, पुच्चइ- णुमद्दण पुप्फगंधपसालंकारक्निसिए इपस्म ओरालियसरीसा पहाया० जाव पायच्चित्ता विपुलाई भोगभोगाई मुं रस्स णो वाहे वा रूवहेउं वा विसयहे वा तं विपुलं जमाणी विहरइ । तए णं से विजए तकरे चारगसाझाए असणं०४ आहारमाहारेछ, णएणत्थ पाणदसण चरित्ताणं तोहिं बंधेहि य वहहि य कसप्पहारोहिय० जाव तएहाएहि | वहणट्टयाए, से णं इहलोए चेव बहूणं सपणाणं बदणं स. य छुहाएहि य पराजवमाणे काझमासे कालं किच्चा परएम मषीणं बहुएं सावगाणं बहूणं सावियाण अ अच्चरश्ताए नववो,से णं तत्थ ऐरए जाए कालेकासा- णिजे० जाव पन्जुवासणिजे भवइ, परसोए वि य एं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 1327 1328 1329 1330 1331 1332 1333 1334 1335 1336 1337 1338 1339 1340 1341 1342 1343 1344 1345 1346 1347 1348 1349 1350 1351 1352 1353 1354 1355 1356 1357 1358 1359 1360 1361 1362 1363 1364 1365 1366 1367 1368 1369 1370 1371 1372 1373 1374 1375 1376 1377 1378 1379 1380 1381 1382 1383 1384 1385 1386 1387 1388 1389 1390 1391 1392 1393 1394 1395 1396 1397 1398 1399 1400 1401 1402 1403 1404 1405 1406 1407 1408 1409 1410 1411 1412 1413 1414 1415 1416 1417 1418 1419 1420 1421 1422 1423 1424 1425 1426 1427 1428 1429 1430 1431 1432 1433 1434 1435 1436 1437 1438 1439 1440 1441 1442 1443 1444 1445 1446 1447 1448 1449 1450 1451 1452 1453 1454 1455 1456 1457 1458