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[आवश्यक सूत्र शल्य-सूत्र-'शल्यतेऽनेनेति शल्यम्' जिसके द्वारा अन्तर में पीड़ा सालती (कसकती) रहती हो वह शल्य है। द्रव्य शल्य काँटा, तीर आदि शरीर में घुस जावे और नहीं निकले तब तक वह चैन नहीं लेने देता; उसी प्रकार मायादि शल्य अन्तरात्मा को शान्ति नहीं लेने देते हैं। तीनों ही शल्य तीव्र कर्म बन्ध के हेतु हैं। अत: दुःखोत्पादक होने के कारण शल्य हैं।
__ गौरव-सूत्र-गौरव का अर्थ गुरुत्व (भारीपन) है। पत्थरादि की गुरुता द्रव्य गौरव है और अभिमान एवं लोभ के कारण होने वाला आत्मा का अशुभ भाव भाव गौरव' है। यह तीन प्रकार का है-ऋद्धि गौरवऊँचा पद, सत्कार, सम्मान, वन्दन, उग्रव्रत, विद्यादि का अभिमान और प्राप्त न होने पर उनकी लालसा करना । रस गौरव-स्वादिष्ट रसों की प्राप्ति का गर्व और नहीं मिलने पर लालसा करना । साता गौरवआरोग्य एवं शारीरिक सुख । वस्त्र, पात्र, शयनासन आदि के साधनों के मिलने पर अभिमान और न मिलने पर उनकी लालसा करना।
विराधना-सूत्र-रत्नत्रयी का विधिवत् पालन करना आराधना होती है और उसके विपरीत पालन करना विराधना है।
कषाय-सूत्र-'कष्यते प्राणी विविधदुःखैरस्मिन्निति कष-संसारः तस्य आयो लाभो येभ्यस्तेकषायः।' जिसमें प्राणी विविध द:खों के द्वारा कष्ट पाते हैं वह संसार (कष) है। उस संसार का लाभ कषाय है अथवा दुःखसस्यं कर्मक्षेत्रं कर्षन्ति (कृषन्ति) फलवत्कुर्वन्ति इति कषायाः। जो दुःख रूप धान्य को पैदा करने वाले कर्म रूपी खेत का कर्षण करते हैं अर्थात् फल वाले करते हैं वे कषाय हैं।
संज्ञा-सूत्र-यहाँ संज्ञा का अर्थ कर्मोदय (वेदनीयादि) के प्राबल्य से होने वाली अभिलाषा रुचि से है।
विकथा-सूत्र-'विरुद्धा विनष्टा वा कथा विकथा' आध्यात्मिक अर्थात् संयम जीवन को दूषित करने वाली विरुद्ध एवं भ्रष्ट कथा को विकथा कहते हैं।
ध्यान-सूत्र-निर्वात स्थान में स्थिर दीप शिखा के समान निश्चल और अन्य विषयों के संकल्प से रहित केवल एक ही विषय का धारावाही चिन्तन ध्यान कहलाता है। उक्तं च
अंतोमुहत्तमित्तं, चित्तावत्थाणमेगवत्थुम्मि ।
छउमत्थाणं झाणं, जोगणिरोहो जिणाणंतु ।। छद्मस्थों के एक वस्तु में अन्तर्मुहूर्त मात्र मन का अवस्थान 'ध्यान' कहलाता है। किन्तु जिन भगवान के मन (भाव मन) का अभाव होने के कारण योग निरोध ही ध्यान होता है। चित्त एकाग्रता रूप नहीं।
चार प्रकार के ध्यानों की संक्षिप्त व्याख्या के लिए आचार्य जिनदास महत्तर ने आवश्यक चूर्णि के प्रतिक्रमण अध्ययन में एक प्राचीन गाथा उधत की है