________________
[आवश्यक सूत्र
{ 76 विवेचन-वीर की परिभाषा
विदारयति यः कर्म, तपसा च विराजते ।
तपोवीर्येण युक्तश्च, तस्माद्वीर इति स्मृतः ।। जो कर्मों का विदारण करता है, तपस्तेज के द्वारा विराजित (सुशोभित) होता है, तप एवं वीर्य से युक्त रहता है वह वीर कहलाता है। निग्गंथं पावयणं यहाँ ‘पावयणं' विशेष्य और ‘णिग्गंथं' विशेषण है। निर्ग्रन्थ दो प्रकार के हैं-जो राग-द्वेष की गाँठ को सर्वथा अलग कर देता है वह निश्चय नय सिद्ध निर्ग्रन्थ हैं एवं जो अभी नैर्ग्रन्थ्य अर्थात् निर्ग्रन्थत्व के प्रति यात्रा कर रहा है, भविष्य में निर्ग्रन्थत्व की पूर्ण स्थिति प्राप्त करना चाहता है वह व्यवहारतः सम्प्रदाय सिद्ध निर्ग्रन्थ है।
आचार्य हरिभद्र कहते हैं-'निर्ग्रन्थानामिदं नैर्ग्रन्थ्य प्रावचनमितिआर्हतमिति भावना।' पावयण शब्द के प्रवचन और प्रावचन दो संस्कृत रूपान्तर हैं। आचार्य जिनदास प्रवचन' शब्द और आचार्य हरिभद्र 'प्रावचन' शब्द को स्वीकार करते हैं, लेकिन दोनों ने आगम साहित्य अर्थ किया है अर्थात् श्रुत रूप शास्त्र । 'प्रकर्षेण अभिविधिना उच्यन्ते जीवादयो यस्मिन् तत् प्रावचनं ।' परन्तु यहाँ पर प्रसंगवश जिनशासन या जैन धर्म अर्थ करना उचित है, यह आगे के पाठ से सिद्ध होता है-'इत्थं ठिया जीवा तं धम्मं य एष नैर्ग्रन्थप्रावचन लक्षणो धर्म उक्त: तं धर्म श्रद्धमहे ।' जिनागम रूप प्रवचन अभिधेय अर्थात् प्रतिपाद्य विषय होने से धर्म को प्रावचन भी कहते हैं।
प्रावचनं-प्रवचनस्य जिनागमस्य अभिधेयम् ।
सच्चं-सद्भ्यो हितं सत्यं सद्भूतं वा सत्यं । जो भव्यात्माओं के लिए हितकर हो तथा सद्भूत हो वह सत्य कहलाता है।
केवलियं-केवल-अद्वितीय, सर्वश्रेष्ठ । केवलज्ञानियों द्वारा प्ररूपित ।
पडिपुण्णं- अपवर्ग-प्रापकैर्गुणैर्भूतमिति।' जो मोक्ष को प्राप्त कराने वाले सद्गुणों से पूर्ण भरा हुआ है।
नेयाउयं-'नयनशीलं नैयायिकं मोक्षगमकमित्यर्थः' अर्थात् सम्यग्दर्शन आदि तत्त्व मोक्ष में ले जाने वाले हैं। अत: वे नैयायिक कहलाते हैं। निश्चित आयो लाभोन्यायो मुक्तिरित्यर्थः, स प्रयोजनमस्येति नैयायिकः।' अर्थात् मोक्ष ही प्रयोजन है जिनका वे सम्यग्दर्शनादि नैयायिक कहलाते हैं। 'न्यायेन चरति इति नैयायिकं न्यायाबाधितमित्यर्थः' -आचार्य जिनदास नैयायिक का अर्थ करते हैं-न्यायाबधित।
सिद्धिमग्गं-'सेधनं सिद्धिः हितार्थ प्राप्ति । सिद्धिः स्वात्मोपलब्धिः' अर्थात् अपने स्वरूप की उपलब्धि को सिद्धि कहते हैं, उसका मार्ग उपाय है।