________________
[आवश्यक सूत्र
उत्तर
{ 180 प्रश्न 100. अदत्तादान किसे कहते हैं ? उत्तर स्वामी की आज्ञा आदि न होते हुए भी उसकी वस्तु लेना अदत्तादान है। प्रश्न 101. कूट तौल-माप किसे कहते हैं ? उत्तर देने के हल्के और लेने के भारी, पृथक् तौल-माप रखना या देते समय कम तौलकर देना, कम
माप कर देना, इसी प्रकार कम गिनकर देना या खोटी कसौटी लगाकर कम देना । लेते समय
अधिक तौलकर, अधिक मापकर, अधिक गिनकर तथा स्वर्णादि को कम बताकर लेना आदि। प्रश्न 102. ब्रह्मचर्य किसे कहते हैं ? उत्तर ब्रह्मचर्य-ब्रह्म अर्थात् आत्मा और चर्य का अर्थ है-रमण करना। यानी आत्मा के अपने स्वरूप में
रमण करना ब्रह्मचर्य है । इन्द्रियों और मन को विषयों में प्रवृत्त नहीं होने देना, कुशील से बचना,
सदाचार का सेवन करना, आत्म-साधना में लगे रहना व आत्म-चिन्तन करना ‘ब्रह्मचर्य है। प्रश्न 103. ब्रह्मचर्य-पालन के लिए किस प्रकार का चिन्तन करना चाहिए?
ब्रह्मचर्य श्रेष्ठ तप है। ब्रह्मचारी को देवता भी नमस्कार करते हैं। काम-भोग किंपाक फल और आशीविष के समान घातक हैं । ब्रह्मचर्य के अपालक रावण, जिनरक्षित, सूर्यकान्ता आदि की कैसी दुर्गति हुई? ब्रह्मचर्य के पालक जम्बू, मल्लिनाथ, राजीमती आदि का जीवन कैसा
उज्ज्वल व आराधनीय बना, आदि चिन्तन करना चाहिए। प्रश्न 104. परिग्रह किसे कहते हैं ? उत्तर किसी भी व्यक्ति एवं वस्तु पर मूर्छा, ममत्व होना परिग्रह है। खेत, घर, धन, धान्य, आभूषण,
वस्त्र, वाहन, दास, दासी, कुटुम्ब, परिवार आदि का संग्रह रखना बाह्य परिग्रह है व क्रोध
मान-माया-लोभ-ममत्व आदि करना आभ्यन्तर परिग्रह है। प्रश्न 105. परिग्रह-विरमण व्रत का मुख्य उद्देश्य क्या है ? उत्तर तृष्णा, इच्छा, मूर्छा कम कर सन्तोष रखना तथा पापजनक आरम्भ-समारम्भ का त्याग
करना, उसमें कमी लाना ही परिग्रह-विरमण व्रत का मुख्य उद्देश्य है। प्रश्न 106. साडीकम्मे (शकट कर्म) किसे कहते हैं ? उत्तर यन्त्रों के काम को शकट कर्म कहते हैं, जैसे गाड़ी आदि वाहन के, हलादि खेती के, चरखे
आदि उत्पादन के यन्त्रों को बनाना, खरीदना व बेचने को साडीकम्मे कहते हैं।