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परिशिष्ट - 4 ]
प्रश्न 107. अनर्थदण्ड किसे कहते हैं?
उत्तर
आत्मा को मलिन करके व्यर्थ कर्म-बंधन कराने वाली प्रवृत्तियाँ अनर्थदण्ड हैं । इनसे निष्प्रयोजन पाप होता है । अतः वे सारी पाप क्रियाएँ जिनसे अपना या कुटुम्ब का कोई भी प्रयोजन सिद्ध नहीं होता हो, अनर्थदण्ड हैं ।
प्रश्न 108 प्रमादाचरण किसे कहते हैं?
उत्तर
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घर, व्यापार, सेवा आदि के कार्य करते समय बिना प्रयोजन हिंसादि पाप न हो, सप्रयोजन भी कम से कम हो, इसका ध्यान न रखना। हिंसादि के साधन या निमित्तों को जहाँ-तहाँ ज्यों-त्यों रख देना। घर, व्यापार, सेवा आदि से बचे हुए अधिकांश समय को इन्द्रियों के विषयों में (सिनेमा, ताश, शतरंज आदि में) व्यय करना ' प्रमादाचरण' है । आत्मगुणों में बाधक बन वाली अन्य सभी प्रवृत्तियाँ भी प्रमादाचरण कहलाती हैं।
प्रश्न 109. प्रमाद किसे कहते हैं व उसके कितने भेद होते हैं?
उत्तर
संवर- निर्जरा युक्त शुभ कार्य में यत्न-उद्यम न करने को प्रमाद कहते हैं । अथवा आत्म-स्वरूप का विस्मरण होना प्रमाद है । प्रमाद के पाँच भेद हैं- 1. मद्य 2. विषय 3. कषाय 4. निद्रा 5. विकथा । ये पाँचों प्रमाद जीव को संसार में पुनः पुनः गिराते-भटकाते हैं ।
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उत्तर
प्रश्न 110. रात्रि - भोजन त्याग को बारह व्रतों में से किस व्रत में सम्मिलित किया जाना चाहिए? रात्रि भोजन त्याग को दसवें देसावगासिक व्रत के अन्तर्गत लेना युक्तिसंगत लगता है। दसवाँ व्रत प्रायः छठे व सातवें व्रत का संक्षिप्त रूप एक दिन रात के लिए है। अतः जीवन पर्यन्त के रात्रि भोजन-त्याग को सातवें व्रत में तथा एक रात्रि के लिये रात्रि भोजन-त्याग को दसवें व्रत में माना जाना चाहिए ।
प्रश्न 111. रात्रि - भोजन त्याग श्रावक व्रतों के पालन में किस प्रकार सहयोगी बनता है ? उत्तर रात्रि - भोजन- त्याग श्रावक व्रतों के पालन में निम्न प्रकार से सहयोगी बनता है - 1. रात्रि भोजन करने वाले गर्म भोजन की इच्छा से प्रायः रात्रि में भोजन संबंधी आरम्भ-समारम्भ करते हैं । रा में भोजन बनाते समय त्रस जीवों की भी विशेष हिंसा होती है, रात्रि भोजन त्याग से वह हिंसा रुक जाती है। 2. माता-पिता आदि से छिपकर होटल आदि में खाने की आदत एवं उससे संबंधित झूठ से बचाव होता है। 3. ब्रह्मचर्य पालन में सहजता आती है। 4. बहुत देर रात्रि तक व्यापार आदि न करके जल्दी घर आने से परिग्रह आसक्ति में कमी आती है। 5. भोजन में काम आने वाले द्रव्यों की मर्यादा सीमित हो जाती है। 6. दिन में भोजन बनाने की अनुकूलता
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