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परिशिष्ट-4]
219) प्रश्न 194. प्रतिक्रमण शब्द का अर्थ स्पष्ट कर उसके आठ पर्यायवाची बताइए। उत्तर प्रतिक्रमण का शाब्दिक अर्थ है-पीछे लौटना, अर्थात् साधक जिस क्रिया द्वारा अतीत में
प्रमादवश किए हुए दोषों, अपराधों एवं पापों का प्रक्षालन करके शुद्ध होता है, वह प्रतिक्रमण कहलाता है। आचार्य हेमचन्द्रानुसार- सावधप्रवृत्ति में जितने आगे बढ गए थे उतने ही पीछे हटकर एवं शुभयोग रूप स्वस्थान में अपने आपको लौटा लाना प्रतिक्रमण है। श्रुतकेवली भद्रबाहु का मन्तव्य है कि प्रतिक्रमण केवल अतीत में लगे दोषों की ही विशुद्धि नहीं करता, अपितु वह वर्तमान और भविष्यकाल के दोषों की विशुद्धि भी करता है। आचार्य भद्रबाहु ने प्रतिक्रमण के आठ पर्यायवाची नाम बताए हैं1. प्रतिक्रमण-सावध योग से विरत होकर आत्मशुद्धि में लौट आना। 2. प्रतिचरणा-अहिंसा, सत्य आदि संयम में सम्यक् रूप से विचरना। 3. परिहरणा-सभी प्रकार के अशुभ योगों का परित्याग करना। 4. वारणा-विषय भोगों से स्वयं को रोकना। 5. निवृत्ति-अशुभ प्रवृत्ति से निवृत्त होना। 6. निंदा-पूर्वकृत अशुभ आचरण के लिए पश्चात्ताप करना । 7. गर्हा-आचार्य, गुरु आदि के समक्ष अपने अपराधों की निंदा करना ।
8. शुद्धि-कृत दोषों की आलोचना, निंदा, गर्दा तथा तपश्चरण द्वारा आत्मशुद्धि करना । प्रश्न 195. प्रतिक्रमण की क्या-क्या परिभाषाएँ प्रचलित हैं ? उत्तर (1) कृत पापों की आलोचना करना, निंदा करना।
(2) व्रत, प्रत्याख्यान आदि में लगे दोषों से निवृत्त होना। (3) अशुभ योग से निवृत्त होकर, निशल्य भाव से शुभयोग में उत्तरोत्तर प्रवृत्त होना। (4) मिथ्यात्व, अविरत, प्रमाद, कषाय और अशुभ योग से आत्मा को हटाकर फिर से सम्यग्दर्शन, ज्ञान व चारित्र में लगाना प्रतिक्रमण है। (5) पाप क्षेत्र से अथवा पूर्व में ग्रहण किये गये व्रतों की मर्यादा के अतिक्रमण से वापस आत्म
शुद्धि क्षेत्र में लौट आने को प्रतिक्रमण कहते हैं। प्रश्न 196. आवश्यक सूत्र का प्रसिद्ध दूसरा नाम क्या है? उत्तर प्रतिक्रमण सूत्र ।