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परिशिष्ट-4]
183} पाँच प्रहर का होता है वह देश पौषध कहलाता है। देश पौषध भी यदि चौविहार उपवास के साथ किया गया है तो ग्यारहवाँ पौषध और यदि तिविहार उपवास के साथ किया है तो दसवाँ पौषध कहलाता है। ग्यारहवाँ पौषध कम से कम पाँच प्रहर का तथा दसवाँ पौषध कम से कम चार प्रहर
का होता है। प्रश्न 116. सामायिक व पौषध में क्या अन्तर है? उत्तर श्रावक-श्राविकाओं की सामायिक केवल एक मुहूर्त यानी 48 मिनट की होती है, जबकि पौषध
कम से कम चार प्रहर का (लगभग 12 घंटे का) होता है । सामायिक में निद्रा और आहार का त्याग करना ही होता है, जबकि पौषध चार और उससे अधिक प्रहर का होने से रात्रि के समय में निद्रा ली जा सकती है। प्रतिपूर्ण पौषध में तो दिन में भी चारों आहारों का त्याग रहता है। जबकि देश पौषध के 11वें पौषध में तो दिन में चारों आहार का त्याग होता है किंतु 10वें पौषध में
अचित्त पानी ग्रहण किया जा सकता है। रात्रि में तो उक्त सभी में चौविहार ही होता है। प्रश्न 117. पहले सामायिक ली हुई हो और पीछे पौषध की भावना जगे तो सामायिक पालकर
पौषध ले या सीधे ही? उत्तर पौषध सीधे ही लेना चाहिए, क्योंकि पालकर लेने से बीच में अव्रत लगता है। कदाचित्
पालते-पालते उसकी भावना मंद भी हो सकती है। प्रश्न 118. पौषध लेने के पश्चात् सामायिक का काल आने पर सामायिक पालें या नहीं? उत्तर सामायिक विधिवत् न पालें, क्योंकि पौषध चल रहा है। सामायिक पूर्ति की स्मृति के लिए
नमस्कार मंत्र आदि गिन लें। प्रश्न 119. पौषध में सामायिक करें या नहीं? उत्तर पौषध में सावध योगों का त्याग होने से सामायिक की तरह ही है, परन्तु निद्रा, आलम्बन आदि
इतने समय तक नहीं लूंगा, आदि के नियम कर सकते हैं। प्रश्न 120. ग्यारहवाँ व्रत, नवमें व्रत से विशिष्ट है फिर भी ग्यारहवें (पौषध) में तो निद्रा, निहार
आदि की छूट है, परन्तु नवमें (सामायिक) में नहीं। यह विरोध क्यों? उत्तर चूँकि सामायिक का काल तो एक मुहूर्त से लेकर आगे सुविधानुसार है। यह काल अल्प है,
अतः वह इन छूटों के बिना भी हो सकती है। और यदि ये आगार सामायिक में रखे जायें तो फिर सामायिक में ज्ञान, दर्शन, चारित्र, तप की कोई आराधना नहीं हो पायेगी तथा पौषध अहोरात्रि या