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परिशिष्ट-1
1.
श्रमण आवश्यक सूत्र की विधि
चउवीसत्थव की आज्ञा - नवकार मंत्र, इच्छाकारेणं, तस्सउत्तरी, एक इच्छाकारेण के पाठ का काउस्सग करें, काउस्सग्ग पारने का पाठ, एक लोगस्स प्रकट, दो बार नमोत्थुणं, तिक्खुत्तो के पाठ से तीन बार वन्दना ।
2. प्रतिक्रमण ठाने (करने) की आज्ञा - इच्छामि णं भंते, नवकार मंत्र, तिक्खुत्तो के पाठ से तीन बार
वन्दना ।
सर्वप्रथम तिक्खुत्तो के पाठ से वन्दना करें।
3.
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प्रथम आवश्यक की आज्ञा करेमि भंते, इच्छामि ठामि, तस्स उत्तरी, 125 अतिचारों का काउस्सा (काउस्सग्ग में आगमे तिविहे, अरिहंतो महदेवो, चारित्र में पृथ्वीकाय, अप्काय, तेउकाय, वायुकाय, वनस्पतिकाय, बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय, चउरिन्द्रिय, पंचेन्द्रिय, पाँच समिति, तीन गुप्ति, पाँच महाव्रत की 25 भावना एवं छट्टा रात्रि भोजन व्रत 125 अतिचारों के समुच्चय का पाठ, अठारह पापस्थान, इच्छामि आलोउं का चिन्तन करें) काउस्सग्ग पारने का पाठ, तिक्खुत्तो के पाठ से तीन बार वन्दना । 4. दूसरे आवश्यक की आज्ञा लोगस्स का पाठ, तिक्खुत्तो के पाठ से तीन बार वन्दना । इच्छामि खमासमणो के पाठ से विधि सहित दो बार बन्दना, तिक्खुत्तो
5.
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तीसरे आवश्यक की आज्ञा के पाठ से तीन बार वन्दना ।
6. चौथे आवश्यक की आज्ञा
(अ) आगमे तिविहे, अरिहंतो महदेवो, चारित्र के 125 अतिचारों के पाठ, अठारह पाप स्थान, इच्छामि ठामि, तिक्खुत्तो के पाठ से तीन बार वन्दना ।
(ब) श्रमण आवश्यक सूत्र की आज्ञा नवकार मंत्र, करेमि भंते, चत्तारि मंगलं, इच्छामि पडिक्कमिडं, इच्छाकारेणं, पाँच श्रमण सूत्र के पाठ, क्षमापना पाठ, दो बार इच्छामि खमासमणो के पाठ से विधिवत् वन्दना | नवकार मंत्र, पाँच पदों की वन्दना, अनन्त चौबीसी, आयरिय उवज्झाए, अढ़ाई द्वीप, चौरासी लाख जीवयोनि का पाठ, अठारह पापस्थान, तिक्खुत्तो के पाठ से तीन बार
वन्दना ।