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परिशिष्ट-4]
173} प्रश्न 63. अकल्पनीय व अकरणीय में क्या अन्तर है? उत्तर सावध भाषा बोलना आदि प्रवृत्तियाँ "अकल्पनीय' हैं तथा अयोग्य सावध आचरण करना
“अकरणीय' हैं । इस प्रकार अकल्पनीय में अकरणीय का समावेश हो सकता है, पर अकल्पनीय
का समावेश अकरणीय में नहीं होता। प्रश्न 64. आगम किसे कहते हैं? उत्तर जो आप्त अर्थात् सर्वज्ञों की वाणी हो, उसे आगम कहते हैं। आगम आप्त पुरुषों द्वारा कथित,
गणधरों द्वारा ग्रथित तथा मुनियों द्वारा आचरित होते हैं। प्रश्न 65. आगम कितने प्रकार के व कौन-कौनसे हैं? उत्तर आगम तीन प्रकार के हैं-1. सुत्तागमे (सूत्रागम) 2. अत्थागमे (अर्थागम) 3. तदुभयागमे
(तदुभयागम)। प्रश्न 66. सूत्रागम किसे कहते हैं? उत्तर तीर्थङ्कर भगवन्तों ने अपने श्रीमुख से जो भाव फरमाए, उन्हें सुनकर गणधर भगवन्तों ने जिन
आचारांग आदि आगमों की रचना की, उस सूत्र रूप आगम को ‘सूत्रागम' कहते हैं। प्रश्न 67. अर्थागम किसे कहते हैं? उत्तर तीर्थङ्कर परमात्मा ने अपने श्रीमुख से जो भाव प्रकट किए, उस भाव रूप आगम को 'अर्थागम'
कहते हैं । अथवा सूत्रों के जो हिन्दी आदि भाषाओं में अनुवाद किये गए हैं, उन्हें भी अर्थागम
कहते हैं। प्रश्न 68. तदुभयागम किसे कहते हैं? उत्तर सूत्रागम और अर्थागम ये दोनों मिलाकर तदुभयागम कहलाते हैं। प्रश्न 69. उच्चारण की अशुद्धि से क्या-क्या हानियाँ हैं? उत्तर 1. उच्चारण की अशुद्धि से कई बार अर्थ सर्वथा नष्ट हो जाता है। 2. कई बार विपरीत अर्थ हो
जाता है। 3. कई बार आवश्यक अर्थ में कमी रह जाती है। 4. कई बार सत्य किन्तु अप्रासंगिक अर्थ हो जाता है, इस प्रकार अनेक हानियाँ हैं। उदाहरण-'संसार' शब्द में एक बिन्दु कम बोलने पर ससार (सार सहित) शब्द हो जाता है या शास्त्र में से एक मात्रा कम कर देने पर शस्त्र हो जाता है। अतः उच्चारण अत्यन्त शुद्ध करना
चाहिए। प्रश्न 70. अकाल में स्वाध्याय और काल में अस्वाध्याय से क्या हानि है? उत्तर जैसे जो राग यारागिनी जिस काल में गाना चाहिए, उससे भिन्न काल में गाने से अहित होता है,