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Atmānusāsana
आत्मानुशासन
heavy stone; in the man with right faith, these become adorable (valuable), like the precious gem.
मिथ्यात्वातङ्कवतो हिताहितप्राप्त्यनाप्तिमुग्धस्य । बालस्येव तवेयं सुकुमारैव क्रिया क्रियते ॥१६॥
अर्थ - मिथ्यात्वरूप रोग से सहित होकर हित की प्राप्ति और अहित के परिहार को न समझ सकने वाले बालक के समान तेरे लिये यह सम्यक्त्वाराधना-रूप सुकोमल-सरल चिकित्सा की जाती है।
This gentle remedy (as the clever doctor mixes his medicine in a sweet syrup when giving it to a child) of adoration (ārādahanā) of right faith (samyagdarśana) is being administered to you, suffering from the disease of wrong-belief (mithyātva) and unable to discriminate between what is good and what is bad.
विषयविषमाशनोत्थितमोहज्वरजनिततीव्रतृष्णस्य । निःशक्तिकस्य भवतः प्रायः पेयाद्युपक्रमः श्रेयान् ॥१७॥
अर्थ - विषयरूप विषम भोजन से उत्पन्न हुए मोहरूप ज्वर के निमित्त से जो तीव्र तृष्णा (विषयाकांक्षा और प्यास) से सहित है तथा जिसकी शक्ति उत्तरोत्तर क्षीण हो रही है ऐसे तेरे लिये प्रायः पेय आदि (पीने के योग्य सुपाच्य फलों का रस आदि तथा अणुव्रत आदि) की चिकित्सा अधिक श्रेष्ठ होगी।
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