________________
Ātmānuśāsana
आत्मानुशासन
अर्थ - हे प्राणी! तू चूँकि इस शरीर के विषय में अत्यधिक दुःखी हुआ है इसीलिये उस शरीर के सम्बन्ध में जो तुझे इस समय अपवित्रता का ज्ञान हुआ है वह योग्य है। अब उस शरीर का परित्याग करना, यह तेरा अत्यधिक साहस होगा।
O man! You have suffered a lot due to your association with the body. It is right that now you have realized how impure the body is. To renounce this body will be your real valour.
अपि रोगादिभिर्वृद्धैर्न यतिः खेदमृच्छति । उडुपस्थस्य कः क्षोभः प्रवृद्धेऽपि नदीजले ॥२०४॥
अर्थ - साधु अत्यधिक वृद्धि को प्राप्त हुए भी रोगादिकों के द्वारा खेद को नहीं प्राप्त होता है। ठीक है- नाव में स्थित प्राणी को नदी के जल में अधिक वृद्धि होने पर भी कौन सा भय होता है? अर्थात् उसे किसी प्रकार का भी भय नहीं होता है।
The ascetic is not distressed even by increased bodily afflictions, like disease. Indeed; what fear is there for the man on board a boat on rise of the water-level of the river?
१ पाठान्तर - मुनिः
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
168