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Ātmānusāsana
आत्मानुशासन
अर्थ - जो मायाचाररूप बड़ा गड्ढा मिथ्यात्वरूप सघन अन्धकार से आच्छादित है तथा जिसके भीतर छिपे हुए क्रोधादि कषायोंरूप भयानक सर्प देखने में नहीं आते हैं उस मायारूप गड्ढे से भयभीत होना चाहिये।
The large pit of deceitfulness is pitch-dark with delusion, and dreadful cobras of passions (kaşāya), like anger (krodha), live hidden in its depth. One should be scared of this pit of deceitfulness.
प्रच्छन्नकर्म मम कोऽपि न वेत्ति धीमान् ध्वंसं गुणस्य महतोऽपि हि मेति मंस्थाः । कामं गिलन् धवलदीधितिधौतदाह
गूढोऽप्यबोधि न विधुं स विधुन्तुदः कैः ॥२२२॥ अर्थ - हे भव्य! कोई भी बुद्धिमान् मेरे गुप्त पापकर्म को तथा मेरे महान् गुण के नाश को भी नहीं जानता है, ऐसा तू न समझ। ठीक है- अपनी धवल किरणों के द्वारा प्राणियों के संताप को दूर करने वाले चन्द्र को अत्यधिक ग्रसित करने वाला गुप्त भी वह राहु किनके द्वारा नहीं जाना गया है? अर्थात् वह सभी के द्वारा देखा जाता है।
O worthy soul! Do not think that no wise man comes to know about your clandestine evil-deeds, and obliteration of your high qualities. Who does not know the invisible Rāhu who swallows wholly the moon that soothes the living beings by its dazzling white rays?
१ पाठान्तर - प्रच्छन्नपापमम, प्रच्छन्नपापममि
२ दाहो ३ विधः
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