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Ātmānusāsana
आत्मानुशासन
अर्थात् देखा गया ऐसा वह तेरा शरीर विवेकज्ञान के प्राप्त होने पर यदि जले हुए वन में हिरणियों के द्वारा स्थलकमलिनी की आशंका से देखा जाता है तो तू धन्य है - प्रशंसा के योग्य है।
This body has been nourished unremittingly by the objects-of-enjoyment and, in the middle of youth, adored by the amorously playful and charming eye-lotuses of beautiful women. If, on acquisition of the discriminatingknowledge (as you subject your body to austerities), the doe (she-deer) mistakes your body for a land-lotus in a burnt down forest, you are truly praiseworthy.
बाल्ये वेत्सि न किञ्चिदप्यपरिपूर्णाङ्गो हितं वाहितं कामान्धः खलु कामिनीद्रुमघने भ्राम्यन् वने यौवने । मध्ये वृद्धतृषार्जितुं वसु पशुः क्लिश्नासि कृष्यादिभिद्धिक्येऽर्धमृतः क्व जन्म फलि ते धर्मो भवेन्निर्मलः ॥८९॥
अर्थ - प्राणी बाल्यावस्था में शरीर के पुष्ट न होने से कुछ भी हित-अहित को नहीं जानता है। यौवन अवस्था में काम से अन्धा होकर स्त्रियों-रूप वृक्षों से सघन उस यौवनरूप वन में विचरता है, इसलिये यहाँ भी वह हिताहित को नहीं जानता है। मध्यम (अधेड़) अवस्था में पशु के समान अज्ञानी होकर बढ़ी हुई तृष्णा को शान्त करने के लिये खेती व वाणिज्य आदि के द्वारा धन के कमाने में तत्पर रह कर खिन्न
• पाठान्तर - पशो २ र्वद्धो वार्द्धमृतः २ फलितं
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