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Atmānusāsana
आत्मानुशासन
ऊपर असाधारण भी उपद्रव कुछ प्रभाव नहीं डाल सकता है। इतना ही नहीं बल्कि वह उपद्रव भी उसके लिये सम्पत्ति का साधन बन जाता है। देखो, समस्त संसार को संतप्त करने वाला सूर्य भी कमलों में विकासरूप लक्ष्मी को ही करता है।
O worthy soul! Acquire merit (punya). Even bizarre mishaps cannot affect those with merit. On the contrary, these mishaps become sources of their glory and wellbeing. See, the sun which torments the whole world (with its heat) brings about prosperity of bloom in the lotuses.
नेता यत्र बृहस्पतिः प्रहरणं वज्रं सुराः सैनिकाः स्वर्गो दुर्गमनुग्रहः खलु हरेरैरावणो वारणः । इत्याश्चर्यबलान्वितोऽपि बलभिद्भग्नः परैः सङ्गरे तद्व्यक्तं ननु दैवमेव शरणं धिग्धिग्वृथा पौरुषम् ॥३२॥
अर्थ - जिसका मंत्री बृहस्पति था, शस्त्र वज्र था, सैनिक देव थे, दुर्ग (किला) स्वर्ग था, हाथी ऐरावत था, तथा जिसके ऊपर हरि का अनुग्रह (सहायता) था; इस प्रकार अद्भुत बल से संयुक्त भी वह इन्द्र युद्ध में दैत्यों (अथवा रावण आदि) द्वारा पराजित हुआ है। इसीलिये यह स्पष्ट है कि निश्चय से दैव (भाग्य) ही प्राणी का रक्षक है। पुरुषार्थ व्यर्थ है, उसके लिये बारम्बार धिक्कार हो।
The extremely mighty Indra, who had Brhaspati* as his advisor, thunderbolt as his weapon, celestial beings as his
* Brhaspati - the god of wisdom and devotion.
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