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विषय-सूची
उक्त चारित्र व्यवहारसे मुक्तिहेतु, निश्चयसे विविक्त चेतनका ध्यान व्यावहारिक चारित्र के दो भेद कौन चारित्र मुक्ति के अनुकूल और कौन संसृति के जिनभापित चारित्र अनुकूल है उक्त व्यवहार चारित्रके बिना निश्चयचारित्र नहीं बनता
कैसे मुक्ति के
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उक्त चारित्र के अनुष्ठाता योगी की स्थिति १९६ ६. चूलिकाधिकार
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मुक्तात्मा दर्शन-ज्ञान-स्वभावको लिये सदा आनन्दरूप रहता है. मुक्तात्माका चैतन्य निरर्थक नहीं चैतन्यको आत्माका निरर्थक स्वभाव मानने पर दोषापत्ति
सत्का अभाव न होने से मुक्ति में आत्माका अभाव नहीं बनता चन्द्रकान्त और मेके उदाहरण द्वारा विषयका स्पष्टीकरण
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आत्मा पर छाये कर्मोंको योगी कैसे क्षणभर में धुन डालता है योगी के योगका लक्षण योगसे उत्पन्न सुखकी विशिष्टता सुख-दुःखका संक्षिप्त लक्षण उक्त लक्षणकी दृष्टिसे पुण्यजन्यभोगों और योगजन्य ज्ञानकी स्थिति निर्मलज्ञान स्थिर होनेपर ध्यान हो जाता है
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भोगका रूप और उसे स्थिर वास्तविक समझने वाले
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यह संसार आत्माका महान् रोग सर्व संसार विकारोंका अभाव होने पर मुक्तजीवकी स्थिति उदाहरण-द्वारा पूर्वकथनका समर्थन २०२ किसके भोग संसारका कारण नहीं होते २०३ भोगोंको भोगता हुआ भी कौन परमपदको प्राप्त होता है
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भोगोंको तत्त्व-दृष्टि से देखनेवालों की स्थिति भोग मायासे विमोहित जीवकी स्थिति २०४ धर्मसे उत्पन्न भोग भी दुःख-परम्पराका दाता
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विवेकी विद्वानोंकी दृष्टिमें लक्ष्मी और भोग भोग-संसार से सच्चा वैराग्य कब उत्पन्न होता है
निर्वाण में परमाभक्ति और उसके लिए कर्तव्य
ज्ञानी पापोंसे कैसे लिप्त नहीं होता ज्ञानकी महिमाका कीर्तन
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कौन तत्त्व किसके द्वारा वस्तुतः चिन्तनके योग्य है
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परमतत्त्व कौन और उससे भिन्न क्या २०७ मुमुक्षुओं को किसी भी तत्त्वमें आग्रह
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नहीं करना आग्रह- वर्जित विकल्प नहीं
आत्मस्थित कर्म, वर्गणाएँ कभी आत्मतत्त्वको प्राप्त नहीं होतीं कर्मजन्य स्थावर विकार आत्मा के नहीं बनते
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तत्त्वमें कर्ता-कर्मादिका
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जीवके रागादिक-परिणामों की स्थिति २०८ जीवके कपायादिक-परिणामोंकी स्थिति २०१ कषाय परिणामोंका स्वरूप ૨૦૨ कालुष्य और कर्म में से एकके नाश होनेपर दोनोंका नाश कलुपताका अभाव होनेपर परिणामों की स्थिति कलुषताका अभाव हो जानेपर जीवकी स्थिति
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आत्मा शुद्धस्वरूपकी कुछ सूचना आत्माकी परंज्योतिका स्वरूप स्वस्वभाव में स्थित पदार्थों को कोई अन्यथा करने में समर्थ नहीं मिलनेवाले परद्रव्योंसे आत्माको कैसे अन्यथा नहीं किया जा सकता
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