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पद्य ९५-९९]
चारित्राधिकार कौन चारित्र मुक्तिके अनुकूल और कौन संसृतिके निवृतेरनुकूलोऽध्या चारित्रं जिन-भाषितम् ।
संसृतेरनुकूलोऽध्या चारित्र पर-भाषितम् ।।१७।। 'निर्वाण (मुक्ति ) के अनुकूल जो मार्ग है वह जिनभाषित चारित्र है और जो संसारके अनुकूल मार्ग है वह पर-भाषित सर्वज्ञ-जिनदेवसे भिन्न अन्य व्यक्तियों (असर्वज्ञों, आप्ताभासों) का कहा हुआ-चारित्र है।'
व्याख्या-पिछले पद्यमें व्यवहार चारित्रके जो दो भेद किये हैं उनके स्वरूपकी कुछ सूचना इस पद्य में की गयी है और वह यह है कि जो चारित्र-धर्म जिनभाषित है-घातिकर्ममलके क्षयसे उत्पन्न अनन्तज्ञानादि चतुष्टयके धारक केवलिजिन-प्रज्ञप्त है-वह मुक्तिके अनुकूल है और जो पर-भाषित है-केवलज्ञानादिसे रहित दूसरों के द्वारा कहा गया है-वह संसारके अनुकूल है-संसारको बढ़ानेमें सहायक है !
जिनभाषित चारित्र कैसे मुक्ति के अनुकूल है चारित्रचरतः साधोः कषायेन्द्रिय-निजेयः।
स्वाध्यायोऽतस्ततो ध्यानं ततो निर्वाणसंगमः ॥१८॥ (जिनभाषित ) सम्यक् चारित्ररूप आचरण करते हुए साधुके कषाय तथा इन्द्रियोंका जीतना होता है, कषाय और इन्द्रियोंको जीतनेसे स्वाध्याय-अपने आत्माका अध्ययन-बनता है और स्वात्माध्ययनसे निर्वाणका संगम होता है-अविनाशी एवं पूर्णतः निराकुल मोक्ष-सुखकी प्राप्ति होती है।'
व्याख्या-यहाँ जिनभाषित चारित्रके विषयमें यह स्पष्ट किया गया है कि वह कैसे मुक्तिके अनुकूल है । उस चारित्रपर चलनेवाले साधुके कषायों तथा इन्द्रियोंपर विजय होता है, कषायों तथा इन्द्रियोंपर विजय प्राप्त होनेसे स्वाध्याय--अपने आत्मस्वरूपका अध्ययनबनता है और आत्मस्वरूपके अध्ययनसे विविक्त आत्माका वह ध्यान बनता है जिसे पिछले एक पद्य (९४ ) में निश्चय चारित्र कहा गया है और उसके बननेसे मुक्तिका संगम स्वतः होता है । इस तरह जिनभाषित व्यवहार चारित्र मुक्तिको प्राप्त करने में सहायक है और इसलिए उसको भी 'मोक्षमार्ग' कहना संगत है।
उक्त व्यवहार चारित्रके बिना निश्चय चारित्र नहीं बनता इदं चरित्र विधिना विधीयते
ततःशुभध्यान-विरोधि-रोधकम् । विविक्तमात्मानमनन्तमीशते
न साधनो ध्यातुमृतेऽमुना यतः ॥९९॥ 'यह ( जिनभाषित ) चारित्र जो कि शुभध्यान (धर्मध्यान ) के विरोधियों ( आर्त-रौद्रध्यानों ) को रोकनेवाला है जब यथाविधि किया जाता है तो उससे साधुजन अनन्तरूप विविक्तनिर्मल आत्माको ध्यानेके लिए समर्थ होते हैं । इस चारित्रके बिना वे साधुजन शुद्धात्माके ध्यानमें समर्थ नहीं होते।
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