________________ भाषाटीकासहित. तेरे मुखको एकही आपने सुन्दर मुखसे चुम्बन करते हैं, और मैं तेरे मुखका अपने दशमुखोंसे बहुतप्रकारके . चुम्बनों करके चुम्बन करूंगा इस प्रकार तू अग्रह अ.. र्थात् हठको छोड दे // 43 // रावणकी यह अनुचित बात सुनकर जानकीजीने उत्तर दिया कि / मू-विरम विरम रक्षः किं वृथा जल्पितेन स्टशति न हि मदीयं कंठसीमानमन्याः // रघुपति भुजदंडादुत्पलश्याम कांते .. दशमुख भवदीयो निष्कृपोवा कृपाणः॥४४॥ ... अर्थ-अरे राक्षस मेरे कण्ठकी सीमाको नील कमल मान कान्तिवाले रामचन्द्रजीके भुजदण्डोंके विना अथवा तेरी कठोर तलवारके विना और दूसरा स्पर्श नहीं कर सकता इस कारण तू शांत हो जाय, शांत हो जा, तू वृथा बकवादं करनेसे क्या प्रयोजन है // 44 // तुलसीकृत रामायणमें यही वचन है कि, P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust