________________ -142 स्त्रीचरित्र. जिससे निस्संदेह आपके चित्तको महान् सुख होगा यह कह संयोगताका हाथ पृथिवीराजके हाथमें दे दिया और मधुर भाषणसे प्रसन्न किया, पृथिवी राजनेभी महाराज जयचंदको उचित उत्तर देकर प्रसन्न किया, तदनंतर परस्पर प्रसन्नतापूर्वक महाराज पृथिवीराज दिल्ली पहुंचे; पृथिवीराज चव्हाण और पृथिवीराज ए सबका आशय लेकर अन्य इतिहास वेत्ताओंनेभो इसी प्रकार लि. रखा है, परंतु आल्हा गानेवाले लोग यह गाया करते हैं कि, कन्नौजसे दिल्ली तक मार्गमें युद्ध होता गया, कोई दिन युद्ध होता रहा, अन्तको महारज पृथिवीराज संयो गताको लेकर दिल्ली पहुंचे, यह संग्राम विक्रमीय सम्बत - 1921 के लगभग हुआ था, संयोगताके साथ विहार __ करते हुये महाराज पृथिवीराजको राजकाजकी कुछ सुधि बुधि न रही; जो शहाबुद्दीन महम्मद गोरी कई , वार हारकर चला गया था, वह अपनी फौज लेकर फिर चढ आया तो एक राजदूतने आकर कहा कि,महाराज यव न सेना चढ आई है,आप सावधान होजाय,यह सुनकरस .P.P. Ac. Gunratnasuri-M.S Jun Gun Aaradhak Trust