________________ ___226 स्त्रीचरित्र. भारत प्रजापरभी महाराणीका कितना स्नेह था, यह भारतवासी भलीभाँति जानते हैं, भारतकी प्रजा परमभक्त हैं, सो जानकर महाराणीने कई वार भारतवर्षमें आनेका विचार किया पर कई कारणोंसे यह इच्छा महाराणीको पूरी न हो सकी, अब अन्तमें सच्चिदानंद परब्रह्म परमेश्वरसे हमारी यही प्रार्थना है कि, महाराणीकी आत्माको शाति दे और उनके वंशजोंको सुबुद्धीप्रदान करै, तथा उनके यशकी दिनों दिन वृद्धि हो इति। - दोहा. उनइससै अरुसाठिमें, विक्रम संवत् जान / चैत्र कृष्णकी दुइजको, भृगुवासर पहिचान // 1 // ता दिन पूरयो ग्रन्थ यह, नारायण मन लाय / व्रजवल्लभहित वंवई, भेज्यो मोद वढाय // 2 // इति श्री स्त्रीचरित्र द्वितीयभागोत्तरखण्ड सम्पूर्णम् // - स्त्रीचरित्र द्वितीयभाग समाप्तम् // "P.P.AC.GunratnasuriM.S Jun Gun Aaradhak Trust