Book Title: Stree Charitra Part 02
Author(s): Narayandas Mishr
Publisher: Hariprasad Bhagirath

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Page 179
________________ भाषाटीकासहित. | एक अंधेरे रास्तेसे लेगई, रानीके साथकी सखियां | छूटगई, वृद्धा उस रानीके साथ लिये अकबरके सुसजित कमराके समीप पहुंचगई, जहां अकबर उत्कष्टित भावसे इधर उधर घूमता वाहरकी ओर देखता हुआ विचार कर रहथा कि हाय ! मैं इतना बडा शाहन्शाह | मेरे यहां दुनियांके ऐशो इशरतके सब सामान मुझे हैं, मगर मेरे दिलको एक दमभी रहत नहीं. शबो रोज फिक्र, लहज वलहज तरबुदात रोज नई ख्वाहिशै, रोज नये हौसिले हाय ! इन गुलवदनोंकी चाहने तो मुझको पागलही बना दिया है यहां वावला सा घूम रहा हूँ मगर अब तक सिवाय हसरतके कुछ हाथ न आया इतनेमें रानीके पैरकी आहट सुनकर कहा, जान पडता है कि वीनसीरन हमारे गुले मुरादको लिये आ रही हैं, द्वार खुलगया वृद्धारानीका हाथ पकड खींचती हुई भीतर लाई और बोली. - वृद्धा-उम्रो दौलतकी खैर तरकिए जाहो हशमत .. मुरादें भरपूर लौंडी दुआगो अवरुखसतकी तलवगार P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust,

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