Book Title: Stree Charitra Part 02
Author(s): Narayandas Mishr
Publisher: Hariprasad Bhagirath

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Page 211
________________ भाषाटीकासहित. 203 कि क्या करें, अमीर उद्दीन जो अति कठोर हृदय और निर्दयी था उसने राजाको यह सम्मति दी कि तुम क्यों इतने बखेडेमें पडे हो, जिस लडकीके सब वस यह बखेडा उठा उसीको खतम करदिया तो सारा झगडा मिटजाय इस सम्मतिको सुनकर राजाको बडा दुःख हुआ, परंतु अन्तको उस म्लेक्षके मतमें आकर राजाने इस हत्याको उचित समझा, राजाको उस समय यह योग्य था कि एक बलवान राजाके साथ कुमारीका विवाह करके उसको अपना सहायक बना लेता, और दूसरेको परास्त कर देता, क्योंकि एकको दो राजा मिलकर परास्त कर होने लगा कि कौन इस कामको करै ? परन्तु वधिक नहीं मिलताथा, रानाका एक रिश्तेदार भाई समझा बुझा कर इस कामके लिये ठीक किया गया, परंतु जब वह बी लेकर राजकुमारीको मारने के लिये महलमें पहुंचा तो उसका हाथ उस सुन्दरी मनमोहनीके मारनेको नहीं उठा, घवराहटसे वर्ची हाथसे छूट पडी, और स Ac. Gunratnasuri M.S Jun Gun Aaradhak Trust

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