Book Title: Stree Charitra Part 02
Author(s): Narayandas Mishr
Publisher: Hariprasad Bhagirath

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Page 225
________________ भाषाटीकासहित. 217 पडेगा, यह समझकर रामचन्द्ररावके समयकी वीस तोपें गडी हुई पृथ्वीसे विकलबाई, और चौदह हजार मनुष्योंकी सेना इकट्ठी की, एक वर्षभी नहीं व्यतीत होने पाया था कि अंगरेजोंकी फिर जय होने लगी, और 25 अप्रैल सन 1858 ईसवीको झांसी घेर लीगई, चारों ओरसे गोली वर्षने लगो, झांसोके सिपाही वडी शूरतासे लडकर कटने लगे, स्त्रियां तक तोपखानोंमें काम करती थीं, तोन हजार सिपाही रानीके महलोको रक्षाके निमित नियत थे, अन्तको अंग्रेज बहादुरके प्रति दिन वढते हुये ऐश्वर्य और प्रतापके सामने रानीको अत्यन्त सावधानो, वीरता, पौरुष, साहस और बुद्धिवानी कुछ न चली, दूसरे दिन झांसी और तीसरे दिन गढ विजय हुआ, परन्तु कुछ सच्चे स्वामिभक्त सवारोंकी सहायतासे रानीबचकर गढसे निकलगई, अनन्तर दो हाजार आदमियोंकी फौजके साथ कालपीकी सडकपर और 25 मईको वहांसे चलकर ग्यालियर टनके उपरान्त वह छिपरा नदीके किनारेको ओर Gun Aaradhak Trust

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