Book Title: Stree Charitra Part 02
Author(s): Narayandas Mishr
Publisher: Hariprasad Bhagirath

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Page 223
________________ भाषाटीकासहित. 215 रकार जप्त न करेगी, जबतक तुम सरकारके शुभ चि. न्तक वने रहोगे, तुम्हारा राज पीढी दर पीढी वना रहेगा, इस प्रकारसे उन सबका भय दूर कर दियागया... . लक्ष्मीबाईने सरकारसे अपनी गोद बैठाये हुये पुत्रको गद्दी देनेके लिये निवेदन किया, परंतु लार्ड डिलहौसीने (जो इस विचार में था कि सारे भारतवर्षका राज्य छीनकर सरकारी राज्यमें मिला लिया जाय ) रानीके निवेदनको अंगीकार नहीं किया, बिचारी रानी निराश होकर घर बैठे रही, सब माल असवाव उससे छीन लिया गया, तब रानी नित्यके आवश्यक खर्चकोभी नहीं चला सकी, और दुःखी हुई, जिन महाजनोंका रुपया झांसी राज्य परथा, उन्होनें नालिश की, तो सरकारने आज्ञा दि कि, महाजनोंको रानीकी पेंशनसे रुपये काद, कर दिये जाय, तब बिचारी पराधीन रानीने पश्चिमोत्तर देश लफ्टनेंट गवर्नरके यहां निवेदन किया कि, ऋणका रुपया राज्यहीके ऊपरका है, वह अब आपके आधीन है उसीकी आमदनीमें से चुका दिया जाय, मेरी तुच्छ "P.P.AC. Gunratnasuri M.S. . Gun Aaradhak Trust

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