________________ भाषाटीकासहित. 205 कृष्णकुमारीके प्राण नहीं निकले, तब दूसरा प्याला विषका दिया गया,उससेभी उसका प्राण नहीं निकला, तब रानाने उसको तीक्ष्ण विषसे भरा हुआ तीसरा प्याला दिया गया, तब कृष्णकुमारीने उस तीसरे प्यालेको हाथमें लेके कहा कि मेरा जीव ऐसा निर्लज होगया, जो बार बार विष देनेसे भी नहीं निकलता यह कह उस विषको पी लिया, उसको नशेमें वह भोली राजकुमारी | ऐसी सोई कि फिर नजागी, और संसारसे सदाके लिये उठगई, उसका नाम सदाके लिये अमर होगया, क्योंकि सोलह वर्षकी कन्या इतना साहस होना छोटी बात नहीं हैं. - कृष्णकुमारीके इस प्रकार मृत्युका समाचार सुनकर सब प्रजा महारानाको धिक्कराने लगे, कृष्णकुमारीकी माताने कन्याके वियोगमें नित्यप्रति रोते रोते पागल होके अन्न जल त्यागदिया, और थोडेही दिनोमें मरगई, अब तक कृष्णकुमारीके इस शोकमय वृत्तान्त कह सुनकर प्रायः लोग आंसू वहाया करते है, इति / - - P.P.AC..Gunratnasuri M.S.. Jun Gun Aaradhak Trust