Book Title: Stree Charitra Part 02
Author(s): Narayandas Mishr
Publisher: Hariprasad Bhagirath

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Page 219
________________ 211 भाषाटीकासहित. खालसा सिक्खोंसे भयभीत रहती थी, रानीने विचार किया कि इस दुष्ट उपद्रवी सेनासे देशको बचानेके लिये अन्य देशोमें चढाई करनेके वहाने उसे बाहर रखना उचित है, यह विचार कर रानी चन्दाने लाहौरको दुष्ट खालसा सिपाहियोंके उपद्रवसे रक्षा करनेके हेतु उन्हें काशी, देहली, लूटनेको बहार भज दिया, रानीका यथार्थ विचार यह था कि अपने दुष्ट उपद्रवी सिपाहियोंको अंगरेजों द्वारा नष्ट कराकर अपना प्राण बचावें, अंगरेजोंसे विरोध करना रानीको अभीष्ट न था, परन्तु फल उलटा हुआ, आधेसे अधिक सिक्रव कटगये और सब पंजाब अंग्रेजोंके आधीन होगया, परन्तु लार्डहारडिंगने तुरन्त उसको अंग्रेजी राज्यमें नहीं मिलाया. दिलीपसिंहको गद्दीपर बिठाये रक्खा, और एक जका किया, और रानी चन्दाको डेढ लाख रुपया वार्षिक देना नियत करके यह शर्त स्वीकार करा ली कि, P.P.AC. Gunratnasuri M.S.. Jun Gun Aaradhak Trust

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