________________ 210 स्त्रीचरित्र. नेत्रोंसे देखा होगा, महाराज रणजीतके परलोक गये पीछे दिलीपसिंह छोटा था, विक्रमीय संवत 1880 में दिलीपसिंह अपने पिताकी राजगद्दीपर विठाया गया, उस समय उसकी अवस्था केवल पांच वर्षको थी, राजकाजके प्रबन्धके निमित्त हीरासिंह दीवान नियत हुआ, उस समय तक रानाने देशके प्रवन्धमें हाथ नहीं डाला था, दीवान हीरासिंहके मारे जानेपर जवाहिरसिंह दीवानपदपर नियत किया गया, परन्तु वहभी खालसाके फौजके सिपाहियोंके हाथसे मारा गया, तब तो रानीकी आखें खुली और सब काम अपने हाथमें करलिया, और पुत्रके नामपर स्वयं राज्य करने लगी, वह दखारमें बैठकर सब काम आप करती थी, विक्रमीय सम्बत् 1902 में रानीने लालसिंहको दीवान और तेजसिंहको सेनापति नियत किया, महाराज रणजीतसिंहकी मृत्यु होनेके उपरान्त खालसा सिक्खोंने हाथ पांव फैलाये, वे तो रणजीतसिंहसे दबते थे, यद्यपि रानी सावधानोके साथ राजकाजकरती थी, तथापि