________________ 312 स्त्रीचरित्र. अंगीकार तो करनाही पडा, परन्तु रानीको इस प्रकार चुपचाप समय बिताना कब अच्छा लग सकता था, कुछही दिनोंके उरान्त रानी अपनी अप्रतिष्ठा और होनतापर अप्रसन्नता प्रगट करने लगी, अनन्तर अनेक उपद्रव उठते देखकर सरकार अंग्रेजने विचार किया कि रानीको पंजाबमें रखनेसे उपद्रव शान्त न होंगे, यह विचारकर एक दिन अचानक अपनी सेनाको रक्षामें रानीकै सलजतके पार उतारकर काशीमें ले आये, यद्यपि रानोके देशनिकासी होनेसे सिक्खोंको अच्छा नहीं लगा तथापि अंग्रेजोंने ऐसा प्रबन्ध कर रक्खा था कि कोई कानतक न हिला सका, कुछही दिनों बाद रानी चन्दा भागकर नेपालको चली गई, जिस प्रकार औरंगजेबके बन्दीखानेसे सेवाजी महाराज निकल आये थे. इसी प्रकार रानी चन्दाभी निकल आई, सरकार अंग्रेजने बार बार सरदार नेपालसे निवेदन किया कि, रानीचन्दाको भेज दो, हम उसको विना लिये न छोडेंगे; परन्तु सरदार नैपालने अपने धर्म और न्यायके विरुद्ध बातको M Gunaradiek Frus P.P. Ac. Cunrathasuri M.S.