________________ भाषाटीकासहित. नदीके वायें तटपर अव नवीन नगर वसाया है, बाईका नियम था कि प्रातः साय दोनों कालमें पूजन पाठ किया करती, और नियत समयपर कथाभी सुनती थी, अपना समय व्यर्थ नहीं होने देती थी, एक एक पल अपना नियमित कार्यमें विताती हुई परमात्माको मध्यास्थ मानकर सब राजकाज न्याय पूर्वक करती थी, उसकी जातिमें मांसभक्षणका निषेध नहीं है, परन्तु वाई परम वैष्णव थी, सच है जो मनुष्य उत्तम बुद्धिके हैं वे मासको कदापि उत्तम पदार्थ नहीं समझते हैं. अहल्याके समयमें तथा अवभी वहां विशेष पर्दा नहीं किया जाता, इसीसे अहल्याबाई दरवारमें वैठकर न्याय करती हुई सब दीन दुखियों तककी वातको ध्यानपूर्वक सुनती थी, और यथोचित सबको प्रसन्न रखनेकी चेष्टा रखती थी, दीन दुखियों तथा शास्त्रानुसार समय समय पर दान करनेमें अहल्यावाईका नाम प्रायः जगतभरमें विरव्यात था, अधिक क्या लिखा जाय नबाब निजाम P.P.AC.GunratnasuriM.S.. Jun Gun Aaradhak Trust