Book Title: Stree Charitra Part 02
Author(s): Narayandas Mishr
Publisher: Hariprasad Bhagirath

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Page 206
________________ स्त्रीचरित्र दक्षिणवाला, व टीवसुलतान आदि सब बाईकी प्रतिष्ठा करते थे, बाईका विरोधी कोईभी न था. - अहल्यावाईने वुढापेमें कई एक कठिनायां झेली, इकलौता बेटा मरगया, और एक मात्र पुत्री मच्छावाई थी, उसके पतिया जब देहांत हुआ, और वह अपने पतिके साथ सती होनेको उद्यत हुई, तब माता (अहल्यावाई ) ने बहुत कुछ समझाया बुझाया कि हमारी तूही एक मात्र आधार है, अपनी वृद्धा माताकी और तेरेही निमित्त है मच्छाबाईने उत्तर दिया, हे माता; तुमारी मृत्युके दिनभी अब निकट है इस कारण कुछ थोडे दिनोंके लिये मैं जीवन धारण करना नहीं चाहती, पति सुखसे बढकर जगत्में दूसरा सुख नहीं है, आप जानती हो कि स्त्रीका सर्वस्व धन एक पतिही है, यदि परमात्माकी कृपा होती, तो मेरा सुख क्यों उठा लेता ? संसारसे उठ जानेका अवसर इससे वढकर फिर '.P.P.AC. Gunratnasuri M.S.

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