________________ - 194 स्त्रोचरित्र. काम न आया, बाईने अपनी सेना सजाकर युद्धकी -तैयारी की और विचार किया कि जो मेरेको आवश्य कता होगी तो रणक्षेत्रमें चलकर स्वयमेव शत्रुके साथ युद्ध करूंगी, अन्तको किसीने कान तक नहीं हिलाया . अहल्याबाईने गद्दीपर बैठकर पहलेही दिन सब द्रव्यपर संकल्प छोड दिया, और तुक्काजी हुलकरको सेनापति निमत किया, गंगाधरने यद्यपि बाईके साथ द्वेषभाव किया था, तथापि वुद्धिमतीबाईने पूर्वराजभक्ति और सेवाका विचार करके उसके दोषपर कुछ ध्यान न किया, और तथावस्थित दीवानीने कामपर नियत किया.. . अहल्याबाई मेवाड और मालवेके सव सूवोंका प्रबंध आपही करती थी, अहल्यावाईका सव कामधर्म और न्यायपूर्वक होता था, अहत्यावाईकी अभिलाषा यही रहा करती थी कि प्रजा सुखचैनसे रहे और देशमें सव प्रकारसे सुखसमृद्धि हो, तथा सबके धन व प्राणका सर्वतो भावसे रक्षा रहे, अहल्यावाई अपने साथ सेना P.P. Ac. Gunratnasuri M:S. Jun Gun Aaradhak Trust