________________ 190 स्त्रीचरित्र. सारा खेल भंग होगया, मुख नीला पीला पडने लगा, प्याससे जल जल पुकारने लगे, मुर्छा आने लगी, पंखा होने लगा, ऊपर गुलाब छिडका गया, रानीने मुख खोलकर खां साहबसे कहा,ऐ खां साहब आपका अन्तसमय आगया, आप खूब विचार कर लें कि जो कोई पुरुष पतिव्रता स्त्रीको और कुदष्टि से देखता है उसकी यही गति होती है, आपका और हमारा विवाह होनेवाला था, सो विवाह तो न हुआ, परन्तु मृत्यु एक साथ होगी, - अपने हमारा धर्म लेना चाहा, तो मैंने यही उपाय - सोचा कि अब दूसरी रीतिसे अपने धर्मकी रक्षा करना चाहिये, सो आपके अपने किये कर्मका फल पाया, यह कहकर रानी सबके देखते देखते किलेकी गुमटी परसे नर्वदा नदीमें कूदकर बमरी और मियां साहव सिसक कर मरगये, क्योंकि कपडोंमें विष भरपूर था, उसकी वायुसे खांसाहवके शरीरमें विष व्याप्त होगया था, मियांसाहवकी कवर भूपालकी सडक पर एक और वनीहुई, अनेक लोगोंका विश्वास है कि इस कवरक P:P.AC. Gunratmasuri.M.S... Jun Gun Aaradhak. Trust ..