Book Title: Stree Charitra Part 02
Author(s): Narayandas Mishr
Publisher: Hariprasad Bhagirath

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Page 199
________________ ___ भाषाटीकासहित 191 दर्शनसे तिजारीका ताप शान्त होजाता है, इस | वृत्तान्तसे विचार कर लेना चाहिये कि यवनलोगोंने इस देसके निवासियोंको कैसा सताया, अनेक पतिव्रताओंके प्राण लिये, अनेक स्त्रियोंको वलात्कार अपनी वेगम बनाया, अनेक स्त्रियोंको वेगम वनानेकी इच्छासे उनको पृथ्वीमें चुनवाकर शिर कटालिया, अनेकोंके सामने उनके पिता माता पति आदिको मारकर वेगम बानाना चाहा, तो भी उन्होंने बेगम होना अंगीकार न किया, और अपना प्राण दिया, कहां तक यवनोंकी कुचाल पर विचार करते हुये लेखनी रुक जाती है, इति / - अब आगे अहल्याबाईका वृत्तान्त लिखते हैं: - अहल्याबाई. - अहल्याबाई भरतखंडकी महाराणीयोंमें सबसे अधिके विख्यात है, विक्रमीय सम्वत् 1782 में सेधियाके P.P. Ac. Gunratnasurin . Jun Gun Aaradhak Trust

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