________________ 178 स्त्रीचरित्र. को पहुंचे राहत / बले किया मैंने जुल्म इनपर इलाही तोबा इलाही तोवा // रहा लगा नफस पर्वरीमें न दिल दिया दाद गुस्तरीमें / पडे मेरी अक्ल पर ये पत्थर इलाही तोबा इलाही तोबा. // वहाना जासिम कुशीका करके किये बहुत मुल्क फतह हमने / वले किये जोर उनपः वदतर इलाही तोबा इलाही तोबा // भला हो इस हूर पारसाका उठाया आंखोंसे जिसने प-रदा / है जिस्त ए माल मेरे एक सर इलाही तोबा इलाही तोबा // हुआ है दा मन गुनाह यों तर किगर निचुड जाय - वह जमीं पर / तो इब जाऊं मैं उसमें ता सर इलाही तोबा इलाही तोबा // फकत P.P.Ac. Gujaratnasuri M.S: jun Gun Aaradhak Trust...