________________ - स्त्रीचरित्र, को जात्याभिमान कितना अधिक है, इसीसे स्त्रियोंका सत्कार अधिक होता है, इति। - अब आगे इन्दुमती रानीका वृत्तांत लिखते हैं: इन्दुमती. उजैनकी लडाईमें महाराजा जसवन्तसिंह राठौरने औरंगजेब और मुरादकी मिलीहुई सेनासे अपनी विजय न देखकर विचार किया कि हमारे साथ केवल चार पांच सौ सिपाही रह गये हैं अव युद्ध करके प्राण देना है, इस कारण अपने नैहरको लौटकर दूसरा उपाय करना चाहिये, यह विचारकर लौटा, रानी इन्दुमतीने सुना कि, मेरा पति समरभूमि त्यागकर आता है, तो नगरके फा: टक बन्द करवा लिये, और कह ला भेजा कि मैं महाराणा उदयपुरकी पुत्री हूं, तू महाराणा उदयपुर ऐसे ते. जस्वी और प्रतापवान क्षत्रीका जवाई होनेके योग्य नहीं है, और जो रणमें पीठ दिखावै, क्या वह मेरा पति कह ला सकता है, तुझको योग्य था कि या तो रणमें शत्रुका P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust