________________ - 170 स्त्रीचरित्र. . रानी-आप कौन हैं ? वृद्धा-मैं इस शहरकी रहनेवाली हूं, कोई नंगी लुची नहीं हूं, किसी प्रकारसे डरो मत, मैं तुमसे कुछ - सवाल नहीं करूंगी. गनी-(मनमें)जान पडता है कि इसी दूतीके द्वारा अकबर अपनी प्रणित इच्छाको पूर्ण करता है, यदि परमात्माकी कृपा है तो आज अकबरको भलीभांति शिक्षा दूंगी. - वृद्धा-(मटककर) बेटो! तुप्म किस सोच विचार में पडी हो ? मैं तुमको ऐसी सैर कराऊंगी कि तुम खुश हो जाओगी. .रानी-कुछ सोच नहीं है, तुमारी भलमनसतके विचारमें होगई कि इस समय तुमने मुझ पर बड़ा कृपा की. - वृद्धा-यह आपकी मेहरबानी है मैं किसीका दिल नहीं हूं यह कह रानीको सैर कराती हुई वादशाही महलके P.P.Ac: Gunratnasuri M.S... Jun Gun Aaradhak Trust ..