________________ स्त्रीचरित्र. - जयचन्द-यह सब सत्य है, परन्तु संसारमें जिसकी बात न रही उसका क्या रहा ? .. ___ चन्द-आप धीर्यसे विचार करें कि कुरुक्षेत्रमें अग रह दिन युद्ध हुआ और उसमें अठारह अक्षोहिणी सेना दोनों ओरकी मारी गई, पांडवोंने सौ भाई दुर्योधन आदिके सिवाय भीष्म, पितामह, द्रोणाचार्य, कर्ण आदि महावीरोंको रण शाई करके विजय लक्ष्मी पाई और छत्तीस बर्ष राज्य किया, परन्तु उस छत्तीस वर्ष महाराज युधिष्ठिरको क्षणभरके लियेभी मनःसंतोष नहीं हुआ, वह बारम्बार ठंराठी श्वास लेकर यही कहते रहे, कि जिनके लालन पालनके लिये मनुष्य राजलक्ष्मी चाहताहै, उनका विनाश करके अब मैं क्या सुख भोग करूंगा ? . जयचन्द-ईश्वरेच्छा बडी प्रबल है; उसकी इच्छाम किसीको कुछ कहनेकी सामर्थ्य नहीं.. ___चन्द-निस्सन्देह वायुके सन्मुख ध्वजा कौन उडा सकता है ? जो मनुष्य ईश्वरेच्छा पहिचानकर उसके अ. P.P.ActGunratnasuri M.S..