________________ भाषाटीकासहित. 141 नुसार वर्तता है, वही संसारमें कृतकार्य होता है और / उसीको सदा यश मिलता है. | जयचंद-ईश्वरकी अघटित घटना है, उसकी इच्छामें किसीका बल नहीं चलता, अब मैं इस विषयमें | कुछ प्रतिवाद नहीं करना चाहता, तुम मंत्री समेत जाकर उनको सत्कारसे लिवा लाओ हम उनकी इच्छाको पूर्ण करेंगे, यह सुन चंद मंत्री दोनों गये और पृथिवीराजको सत्कार पूर्वक लिवा लाये, महाराज पृथिवीराजके आनेपर जयचंदने आदर सहित विठाकर संयोगताको भी बुलवाया, और महाराज पृथिवीराजसे कहा कि, हमने ईर्षा वश अब तक आपसे सदा विरोध रक्खा, मजुप्यके मनमें इश्वरने ईर्षा इस लिये उत्पन्न की है कि, वह उचित रीतिसे उन्नति करके दूसरेके समान हो. परंतु इषाके हेतु अनेक सज्जन दूसरोंके हाथसे अकारण दुःख सहते हैं महाभारतके घोर युद्धका कारण केवल दुर्योधन की ईर्षा थी, पर अब इसका प्रतिशोध करनेके लिये हम / एक ऐसा अलौकिक रत्न आपको समर्पण करते हैं . P.P.AC. Gunratnasurj M.S... Jun Gun Aaradhak Trust