________________ भाषाटीकासहित 159 बहादुरके अपना शरीर त्याग कर दिया, सच्ची वात तो | यह है कि सच्चा प्रेमी विना अपने प्रियतरके कैसे जी. वित रह सकता है ? रूपमतीके बनाये हुये राग मालवे में बहुत प्रीतिके साथ गाये जाते हैं प्रायः रहसलधारी और गाने बजानेवाले इन रागोंको कंठस्थ कर लेते हैं, रूपमतीकी कविता ठेठ - मालवी हिन्दी है, जो प्रेमरससे भरी हुई है, इति. - अब आगे दुर्गावतीका वृत्तांत लिखते हैं. दुर्गावती. रानी रूपमतीके ही समयमें दुर्गावती विख्यात हुई थी, दुर्गावती बुंदेल खंडके प्राचीन राजधानी महोवाके चन्देल राजाकी पुत्री थी, और गुढ मंडलेके गोंड राजाकी रानी थी, गोंडोंका राज अब अंग्रेजी अमल्दारी के सूवे नर्बदा और सागरमें मिला हुआ चन्देल राजको अपने उच्च वंशका बडा अभिमान है, गोंडोंकी जाति चन्देलसे बहुत छोटी है, जब गोंड राजाने चन्दे BAC.Gunratnasuri M.S.. Jun Gun Aaradhak toast