________________ 162. स्त्रोचरित्र. के सिपाहीजी खोलकर युद्ध करने लगे, दो वार यव नोंको अपने पराक्रमसे हटादिया, यवनोंके छे सौ सवार रणभूमिमें कटकर गिरगये, महारानीने विचार किया की शत्रुओंको अब हरा दिया है, रातको लढाई करके - इन्है भगा देवै, परन्तु सेनापतियोंका साहस नहीं हुवा की जो महारानीकी इच्छाके अनुसार शत्रुका पराजय कर, सके आसिफरखां इस हारसे लजित होकर तीसरी वार तोपखाने लेके चढा. रानीने पहाडके एक छोटेसे मा के मुह पर मोरचे गाडे, मुसलमान लोक दूसरे मार्गसे मैदानमें उतर आये महा रानीकी सेना युद्ध करनेका उपस्थित थी रानीके पुत्र ने दो वार ऐसी बहादुरास युद्ध किया कि मुसलमानोंके पांव उखड गये, तीसर घावेमें राजपुत्र घायल हो गया, बहुत रुधिर वहने के कारण मूर्छा आने लगी, जीवनकी आशा न रही, तव महारानीने आज्ञा दी कि कुवरको तम्बूमें ले जाआ, कायरोंको यह बड़ा अवसर भागनेका मिलगया, केवल -- तीन सौ सिपाही रानीको सेनामें रह गये, तोभी राना P.P.AC..GunratnasuriM.S.. Jun Gun Aaradhak Trust .