________________ Maina - - - भाषाटीकासहित. काल आ पहुंचा, सुधि पाकर रानी तारागई किलेसे | उतरने तक नहीं पाई कि पृथिवीराजका प्राण निकल | गया, तब अपने स्वामीके मृतक शरीरको गोदमें लेकर . तारागई सती होगई, राजस्थानमें ताराबाई और पृथिवीराजके नामको बडी प्रतिष्ठाके साथ लोग अब तक स्मरण करते हैं, इति. आगे रानी रूपमतीका वृत्तांत लिखते हैं. ... रूपमती. रूपमतीके माता पिताका हाल ठीक ठीक नहीं जान पडा, कि यह किसकी कन्या थी, यह कविता करने और गाने बजानेमें बहुत निपुण थी, उज्जैनसे पूर्वोत्तर (वायव्य) कोण 55 मील काली नदीके तट एक सारंगपुर नामक नगरमें उत्पन्न हुई थी. राजा वाज बहादुर जो अफगान मालवेमें स्वतंत्रता पूर्वक राज्य करते थे उनको भी आखेट और गाने बजानेका बडा व्यसन था, इसीसे | रूपमती पर बाजबहादुर मोहित हो गये, और उसको - अपनी मुरव्य बेगम बना लिया, उन दोनों में परस्पर P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. * Jun Gun Aaradhak Trust