________________ 248 स्त्रीचरित्र. पाईं, यदि भारतवर्षों परस्पर विरोध भाव न होता तो यवन लोग कभीभी इस भरतखंडमें राज्य नहीं कर पाते, __अपने स्वामीका छलमे कैद होजाना सुनकर रानी पद्मावतीने अपने भाई और चचाको बुलाकर पूछा कि - अब क्या उपाय किया जाय जिससे हमारी प्रतिष्ठामेंभो बट्टा न लगै और रानाजी बंधनसे छूटकर आ जावै. यह पूंछने पर उनकी यह राय ठहरी कि, बादशाहके पास जानेका बहाना करके रानाको छुटानेका उपाय किया जाय, यह सुन रानीने बादशाहको कहला भेजा कि आप पहर अपनी सेना उठवा लें, मैं अपनी सब सहेलियोंसहित आपके पास आती हूं, बादशाहने इस बातको मान लिया और प्रसन्न होकर अपनी फौजमें आज्ञा कर दी कि रानी पद्मावती आती है, कोई सिपाही किसी डोलीको उघाडकर न देखै, रानीने सातसो डोली में छे क्षत्री कहार रूपसे एक एक वीर धीर क्षत्रियको बिठाकर बादशाहके लशकरमें चले, एक बहुत बडे तम्बूक भीतर डोलियां उतारी गई रानीने वहां पहुंचकर बादशा: P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust