________________ भाषाटीकासहित. . 139 माल पहिरानेकी रीति कहीं नहीं सुनी गई, फिर इसमें आपकी लज्जाका कौन हेतु रहा ? * जयचंद--कुछ हो; इस विषयमें पृथिवीराजकी ओरसे | हमारा ऐसा अपमान हुवा है कि, हम इसका बदला लिये विना किसी प्रकार नहीं रहेंगे, जो चंद्रादि ग्रह पश्चिमके : / बदले पूर्व दिग्गमन करेंगे तो भी यह सम्बंध न होगा. चंद-जैसे चन्द्रादि ग्रहोंके पूर्व दिग्गमनमें संदेह - नहीं, तैसेही अब इस सम्बन्धमें कुछ सन्देह नहीं रहा, आप क्रोध किस पर करते हैं ? राजाधिराज पृथिवीराज - क्या अब आपसे पृथक् हैं ? आप अपनी आत्मासे ब.दला लेनेका विचार करते हों भले ही लें परन्तु इसका - पछतावा आपको पीछेसे अवश्य होगा. सुभद्राहरणसे पाछे कृष्ण बलरामसे अर्जुनका सम्बन्ध अंगीकार किया, तो कैसा शुभ परिणाम हुआ ? और ऊपा अनिरुद्धके गान्धर्व विवाह हुये पीछे बाणसुरने प्रतिवाद किया वा कसा दुःख पाया ? परस्परके विवादमें किसीको सुख नहीं मिलता. Ac. Gunratnasuri M.S Jun Gun Aaradhak Trust.