________________ भाषाटाकासाहत. धर्मका प्रचार करते और न शस्त्रके भयसे कभी धर्म * परित्याग करते हैं, वे प्राण देकर धर्मकी रक्षा करते हैं, तो मुझे लाचार होकर हुजूर आलीका आखिरी हुक्म सुनाना पड़ेगा... “रानी-सुनाइये, क्षत्रिय नारी इन तुच्छ बातोंसे कदापि भय नहीं करती. एलचीदूत-हुजूर सिपह सालार साहबका यह हुक्म है कि, आप किसी शर्त पर राजी न हों तो हम फौरन् इस आलोर शहर बारिद होंगे इस महलको नेस्त व नाबूद कर डालेंगे शैतानी हिन्दू मजहबको पस्तकर तमाम जूतों और वुतखानोंको शिकस्त कर उन्हें पैरोंसे कुचल डालेंगे और हिन्दुओंकी तमाम खूब सूरतना जनीनोंको गिर फार कर हजरत खलीफा साहब दाम इकवालहूकी खिदमतमें रवाना करदेंगे. ... रानी–दूत, निस्सन्देह आपके सेनापतिने अपने योग्य बात कही, वे स्त्रियोंका ऐसाही सत्कार करते हैं / P.P. Ac. Gunratnasuri M:S. "Gun Aaradhak Trust