________________ स्त्रीचरित्रआकर अपना अधिकार जमाया, और इस देशकी सारी राजलक्ष्मी हर ले गये, यवनोंका अन्यायसे नष्ट -- होकर यह देश अभी तक नहीं सुधरा, महाराज जय चन्द्रके राजसूय यज्ञमें भारत वर्षके सब राजा महाराजा सुशोभित थे, केवल चित्तौरके सोमसी राजा और दिल्लोके राजा पृथ्वीराज,ये दोनों ईर्षा द्वेषके कारण नहीं आये यज्ञमें सब काम काज प्रायः राजा व राजकुल .. बालोंके हाथसेही होता है इस कारण जयचन्द्रने अन्य 'राजाओंकी दृष्टि सोमरसी और पृथ्वीराजको तुच्छ जाचनेकी इच्छासे सोमरसीका एक सुवर्णचित्र बनवाकर पात्र धोनेके स्थानमें खडा करवा दिया, दूसरा पृथीराजका एक सुवर्ण चित्र ड्योढोपर खडा करा दिया, यज्ञ समाप्त होनेके उपरान्त महाराज जय चन्द्रने राजकुमारी संयोगताका स्वयम्बर करनेका विचार किया, यज्ञमंडपमें जिस समय संयोगता अपने हाथमें जयमाल लेकर आई और वहां सब राजाओंकी ओर एक दृष्टि उठाकर देखा, तो ऊन राजाओमें पृथ्वा' -P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust