________________ स्त्रीचरित्र. टकी किसीकी लज्जा नहीं करतीथी जब कोई पूंछता कित किसीकी लजा क्यों नहीं करती है? तब वह यही उत्तर देती थी कि मैं विना पृथ्वीराज नरदेहके दूसरे किसकी लजा करूँ ? एक दिन संयोगतानेभी कर्णाटकीसे पूंछा कि इसका क्या कारणहै तू किसीकी लज्जा नहीं करती, उसने कहा कि, हे सुशोभने! मैं विना महाराज पृथ्वीराजके नरदेह अन्य किसकी लजा करूं ? महा• राज पृथ्वीराजके समान शूर वीर व स्वरूपवान दूसरे किसीको मैं नहीं देखती इस प्रकार अवसर आय कर्णाटकीने महाराज पृथ्वीराजकी बहुत प्रशंसा की, जिससे संयोगताका चित्त मोहित होगया संयोगताने स्वयम्वरमें महाराज पृथ्वीराजके कंठमें जयमाला पहिराई थी, जिसका वृत्तान्त संक्षेप रीतिसे हम आगे लिखते हैं, चन्द्र कवि अथवा चन्द्रभाटने अपने ग्रंथ ( पृथ्वीराजरासा ) के कन्नौज खंडमें संयोगताका स्वयम्वर उत्तमता पूर्वक वर्णन किया है उसीमें सारांश निकालकर सरल भापामें लिखना हमने यहां विचार है, सो इस प्रकार कि, Ac. GunratnasuriM.S... Gun Aaradhak Trust