________________ inition भाषाटीकासहित. 113 और छटी हुई लट कपोलपर झूल रही थी, व रत्नोंके द्वार समूहकी शोभासे युक्त सरोज जिसके तथा जिसको / देखतेही कामदेवकी उत्पत्ति होती थी, तथा वह पद्मिनी कमलपत्रायत नयनी, कृशोदरी(पतली कमरखाली)मानो दूसरी लक्ष्मी हो और देखनेवालोंके मनको हरनेवालो, अपने बाणरूपी कटाक्षोंसे हृदयको जर्जरीभूत कर लूटती थी.. :: पद्मिनी (संयोगता ) के रूपकी प्रशंसा सुनकर महाराज पृथ्वीराजने एक कर्णाटकी नामा दासी कन्नौजको संयोगताके पास उसको मोहितकर अपने वशमें लानेके निमित्त भेज दो थी जिस समय वह कर्णाटकी कन्नौजमे आई तो उसने महाराज जयचंद्रको समीप आय यह कहा कि,मैं महाराज पृथ्वीराजको दासी हूं मुझको विना अपराध पृथ्वीराजने दिल्लोसे निकाल दिया अब मैं आपके शरण आई हूं सिवाय आपके और. किसकी शरण जाऊँ, यह सुनकर महाराज जयचन्द्रजीने उसको सयोगता(पद्मिनी) की सेवामें भेज दिया वह दासी कर्णा P.AC.Gunratnasuri M.S Jun Gun Aaradhak Trust