________________ भाषाटीकासहित. 103 बिजली है गजब इसकी है तलवार खबरदार दरबारमें वह तेगे शरर वार न चमके // घर वारसे वाहरसेभी हर वार खबरदार। इस दुश्मने ईमां को है धोखमें फसाना॥ लडनानमुकाबिल कभी जिनहार खबरदार। फिर जिस समय महाराज सूरजदेव एक लोहेके पिंजडे मूर्छित थे, उस समय एक देवताने सामने खडे होकर यह गान किया था. लावनी. सब भाँति दैव प्रतिकूल होय एहि नाशा / अब तजहु वीरवर भारतकी सब आशा॥ अब सुख सूरजको उदय नहीं इत व्है है। सो दिन फिर इत अब सपनेहूं नहिं ऐहै / स्वाधीन पनो बल धीरज सबही न शैहै। मगल मय भारत भुवि मशान व्है जैहै // / P.P.AC.GunratnasuriM.S. :.. Jun Gun Aaradhak Trust